कैमूर: चांद के दीदार होने के साथ ही आज से अल्लाह की इबादत का मुकद्दस महीना रमजान शुरू हो गया है। जिसमे समूचे कैमूर जिले के मुस्लिम समुदायों के बीच अलग उत्साह और खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। माह-ए-रमजान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जिले के सभी मस्जिदों के इमाम व खतीब के द्वारा मस्जिदों में नमाज अदा कर अल्लाह की इबादत की जाएगी। बताया जाता है कि माहे-ए-रमजान या रमजान का महीना इस्लाम धर्म के लोगों के लिए बहुत ही पाक महीना होता है।
सऊदी अरब में रमजान का चांद 10 मार्च को दिखाई दे चुका है, इसलिए वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा गया। सऊदी अरब के एक दिन बाद भारत में रोजा रखा जाता है। ऐसे में भारत समेत अन्य देशों में 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सेहरी नाम से जाना जाता है। सेहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है।
हालांकि बच्चों व शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी जाती है और बताया जाता है कि खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसे इफ्तार के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद सुबह सहरी से पहले तक व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है। मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह का पूरा महीना इबादत करते हैं और इंसानियत के लिए दुआ मांगते हैं। रोजा रखने वालों को नियम का पालन करना होता है और रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करनी पड़ती है। रोजा रखने के लिए ना सिर्फ भूख और प्यास पर नियंत्रण किया जाता है बल्कि बुरा न सुनने,बुरा न बोलने और बुरा न देखने के नियम का भी पालन करना होता है।
रोजा रखने के दौरान किसी का उपहास न उड़ाएं और किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं। रोजा रखने वालों को रोजाना कुरान का पाठ करना चाहिए। रोजा रखने वालों को रोजाना किसी गरीब और जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। इससे आप मुस्लिम होने का फर्ज अदा करते हैं।