पटना – बिहार के सियासत से एक बड़ी खबर आ रही है जहाँ बिहार के 27 नेता चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. चुनाव आयोग ने इन नेताओं को चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया है. आयोग ने इन प्रत्याशियों की लिस्ट सभी जिलों में भेज दी हैं. इन सभी नेताओं को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 (क) के तहत चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया है. ये सभी 27 लोग बिहार के 17 विधानसभा क्षेत्र से जुड़े हैं.
बता दें कि जनवरी 2020 तक बिहार में 89 लोगों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था इनमें से 62 लोगों को 3 साल की प्रतिबंधित अवधि सितंबर में समाप्त हो गई है वहीं इन 27 लोगों में कुछ लोगों को सितंबर 2021 और कई अन्य को जनवरी 2022 तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
अली नगर विधानसभा से अनंत कुमार, केवटी से विजय कुमार, खगड़िया से बबीता देवी,कुशेश्वरस्थान से तुरंती सदा, बेनीपुर से ताराकांत झा, बेनीपुर से जितेंद्र पासवान, हायाघाट से मोहम्मद अरशद और रामसखा पासवान,पातेपुर से लखींद्र पासवान,परबत्ता से सतीश प्रसाद सिंह, केवटी से अशोक झा, गायघाट से रघुनाथ प्रसाद सिंह, हथुआ से संजय मौर्य और फारुख खान, कुम्हरार से सुबोध कुमार, कुटुंबा से रंजीत कुमार, औरंगाबाद से संजीत चौरसिया, कुढ़नी से सरजीत सुमन, अशर्फी शनि, अभय कुमार ,पूजा कुमारी और कुमार विजय, भोरे से जानकी देवी, शर्मा देवी, बेलदौर से बिंदु देवी शामिल हैं।
क्यों लगा चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध
चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 को के तहत यह अधिकार है कि कोई भी प्रत्याशी चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं दे तो उस पर प्रतिबंध लगा सकता है चुनाव खर्च का ब्यौरा परिणाम आने के 30 दिनों के अंदर नहीं देता है या फिर बेवड़ा नहीं देने की कोई वाजिब कारण नहीं बताता है तो आयो उसे 3 वर्ष की अवधि के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है यह सभी 27 प्रत्याशी 3 सालों के लिए प्रतिबंधित किए गए हैं इनकी अवधि जनवरी 2022 में पूरी हो रही है.