बक्सर में ऐतिहासिक पंचकोशी मेले की शुरुआत, यहां स्थित है माता अहिल्या का प्राचीण मंदिर, श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को यहीं मिली थी मुक्ति

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। बक्सर के अहिरौली में ऐतिहासिक पंचकोशी मेले की शुरुआत आज से हो गयी है। इस मौके पर दूर दराज से हजारो श्रद्धालु अहिरौली पहुंच कर माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर में दीप जलाकर सुख-समृद्धि की कामना की है। पंचकोशी परिक्रमा मेला को लेकर प्रशासनिक सतर्कता जारी कर दी गई है। इसके तहत सदर अनुमंडल पदाधिकारी धीरेन्द्र कुमार मिश्र व एसडीपीओ द्वारा संयुक्त अनुमंडल आदेश जारी किया गया है। आदेश के माध्यम से विधि-व्यवस्था के लिए सभी पड़ाव स्थलों पर स्टैटिक दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी के साथ जिला बल के जवानों की तैनाती की गई है।

सुरक्षा के मद्देनजर फायर ब्रिगेड को भी अलर्ट किया गया है। वहीं, पेयजल व प्रकाश आदि व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य महकमा को आवश्यक दवा के साथ चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती के निदेश दिए गए हैं। अंतिम दिन 28 नवंबर को लिट्टी-चोखा के महाभोज में होने वाली भारी भीड़ को देखते हुए विशेष प्रबंध की हिदायत दी गई है। उस दिन हर चौक-चौराहों पर पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। यातायात प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं विधि-व्यवस्था के संधारण हेतु अलग-अलग आठ जगहों पर दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है।

अहिरौली स्थित माता अहिल्या का मंदिर काफी प्राचीन है। इसी जगह गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को भगवान श्रीराम के चरण स्पर्श से मुक्ति मिली थी। मान्यता है की जब भगवन श्री राम बक्सर पहुंचे थे तब पांच जगहों पर गए थे और उन्होंने तरह तरह के पकवान और स्वादिस्ट भोजन किया था। लिहाजा प्रसाद के रूप में पहले दिन और पहले पड़ाव अहिरौली में पुआ बनता है और लोग उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। 24 नवंबर से शुरू होकर 29 नवम्बर तक चलनेवालों पंचकोशी मेले के आखिरी दिन लिट्टी चोखा बनाया जाता है और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। बताते चले कि माता अहिल्या के दरबार मे दीया बाती पूजा अर्चना के बाद अपनी मन्नते पूरी होने पर महिला अपने सन्तान प्राप्ति के बाद अपने आँचल पर गौड़ जनजति के खास नाच खराती हैं ।

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