दुनिया की ताकतवर महिलाओं में शामिल हुई बिहार की बेटी, बाल विवाह के खिलाफ छोड़ा था घर,रेनू पासवान बानी जी-100 समूह का स्टेट चेयरपर्सन

NEWSPR डेस्क। बिहार मुजफ्फरपुर की रहने वाली रेणु पासवान को दुनिया की ताकतवर महिलाओं में चुना गया है। उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ अपना घर छोड़ दिया था। उन्हें जी-100 समूह का स्टेट चेयरपर्सन बनाया गया है। मैट्रिक के बाद तय अपनी शादी के खिलाफ आवाज उठाने वाली मुजफ्फरपुर की बेटी आज दुनिया की हजारों महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं। बाल विवाह के खिलाफ घर छोड़ने वाली रेणु पासवान 135 देशों की 100 ताकतवर महिलाओं में शुमार हो गयी हैं। रेणु बिहार से पहली महिला हैं, जिन्हें इसमें शामिल किया गया है।

मिठनपुरा निवासी नागेंद्र पासवान की बेटी रेणु हौसले की पक्की हमेशा से थी। घर-समाज के लोग का कहना था दशवीं कर लिया अब शादी कर लो, लेकिन रेणु अपने समुदाय की अन्य लड़कियों की तरह जिंदगी नहीं जीना चाहती थी। उसे बदलना और बदलाव लाना था। उनके दोनों भाई दिव्यांग हैं, फिर भी अपने लक्ष्य से रेणु कभी नहीं डिगी। समुदाय की सोच के खिलाफ जाके भी अपनी पढ़ाई जारी रखा। बेंगलुरु से बायोटेक्नोलॉजी किया। 2008 में पुणे आई और एमबीए किया।

जी 100 एक इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है, जो महिलाओं के सशक्तीकरण पर काम करता है। इसमें अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ीं 135 देशों की महिला लीडर हैं, जो अलग-अलग देशों की महिलाओं के लिए मिलकर काम करती हैं। इससे आज एक मिलियन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इंटरप्रेन्योर से लेकर इन्वेर्स्टस तक। इसका फायदा हर तबके की महिलाओं तक पहुंचाना है। ऐसी महिलाएं, जो अपने काम में कमबैक करना चाहती हैं या जो पीड़ित हैं या जिन्हें रास्ता नहीं मिल रहा। जी 100 समूह से पद्मश्री कल्पना सरोज, नूरिया मारीन, लिसा समेत कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय हस्तियां जुड़ी हैं। रेणु ने बताया कि जेंडर एडवोकेटर के तौर पर काम कर रही हूं। लैंगिक असमानता की शिकार महिलाओं को अलग-अलग बिजनेस से जुड़ी महिलाओं का सहयोग मिलेगा।

रेणु ने 2018-19 के बीच लैंगिक समानता पर लिखी तीन किताबें आईं, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेणु पहचान बनी ही नहीं, बदल भी गई। इस किताब में बिहार की बेटी ने किस तरह संघर्ष किया उसको भी उजागर किया है।लोगों ने कहा कि टाइटल चेंज कर लो। मगर रेनू कहाना था टाइटल बदलूंगी और ना खुद को। बस पहचान बदलूंगी, ताकि हमारा समाज बदले। रेणु की इसी जिद के कारण ग्लोबल स्तर पर यूएनए की ओर से वर्ष 2020 में ‘शी द चेंज’ का टाइटल मिला। कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड पा चुकीं रेणु अब सूबे की ग्रामीण महिलाओं की आवाज हैं ।