NEWSPR डेस्क। मांडर विधायक बंधु तिर्की ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सरकारी सेवकों के प्रोन्नति मामले पर लगी रोक अबतक नहीं हटाये जाने को लेकर वरीय अधिकारियों को जिम्मेवार बताया है। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रोन्नति पर जारी रोक को हटाने की अनुमति दे दी है। बावजूद इसके अभी भी अधिकारियों द्वारा मामले में मंथन किये जाने से साफ है कि वे प्रोन्नति मामले को जानबूझ कर लटका रहे हैं।
बंधु तिर्की ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगले मामले का समाधान एक सप्ताह के भीतर नहीं होता है, तो एसटी-एससी विधायक संघर्ष को विवश हो जायेंगे। सीएम को सौंपी गयी रिपोर्ट के मुताबिक 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जायेंगे। बता दें कि चार नवंबर को झारखंड सरकार की उच्च स्तरीय समिति ने प्रोन्नति मामले में सीएम और मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में सरकारी सेवाओं में एससी, एसटी को प्रमोशन में आरक्षण जारी रखने की अनुशंसा की गयी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि झारखंड सरकार में हर स्तर पर प्रोन्नति वाले पदों पर एससी और एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में करीब 34 विभागों में से31 प्रमुख विभागों में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,01,1 98 है, जिनमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जायेंगे। बंधु ने कहा, छह माह बाद भी न तो स्पष्टीकरण दिया गया है, न ही रोक हटी है। बंधु तिर्की ने अपने मोरहाबादी आवास में रविवार को प्रेस कांफ्रेस कर बताया कि प्रोन्नति मामले को लेकर मार्च 2020 में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति बनायी गयी थी। समिति के अनुरोध पर सीएम ने 24 दिसम्बर 2020 को अगले आदेश तक प्रोन्नति पर रोक लगा दी. समिति द्वारा छह माह तक मैराथन बैठक कर 10 फरवरी को एक रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गयी।
रिपोर्ट में अनुशंसा की गयी कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति से संबंधित स्पष्टीकरण (31 अक्टूबर 2012) की तर्ज पर तुरंत प्रोन्नति के लिए स्पष्टीकरण जारी हो, साथ ही पदोन्नति पर जारी रोक हटायी जाये। बंधु ने बताया कि छह माह बाद भी न ही स्पष्टीकरण जारी किया गया, न ही प्रोन्नति पर रोक हटी. इस दौरान हाईकोर्ट में दर्जनों बार याचिका दायर की गयी है. फिर भी रोक नहीं हटी है। अब जब सीएम ने रोक हटाने की सहमति दे दी है, फिर भी अधिकारी मामले को लटकाये हुए हैं। बंधु ने मांग की है कि सरकार एससी-एसटी अधिकारियों के प्रोन्नति मामले में लगी रोक तत्काल हटाये। साथ ही राज्य गठन के बाद एसटी-एससी कोटे के वरीय कर्मियों को प्रोन्नति से वंचित कर सामान्य वर्ग के कनीय कर्मियों को दी गयी प्रोन्नति को रद्द किया जाये।