पटना डेस्क
नरक में तब्दील हुआ चौक-चौराहा : बाढ़ नगर परिषद प्रशासन और सफाई कर्मियों के बीच चल रही रस्साकशी की खेल के कारण पूरा शहर नरक में तब्दील होते जा रही है। शहर के हर चौक- चौराहों पर कूड़े- कचरे की अंबार दिख रही है। सफाई कर्मियों की लगातार आठवें दिन हड़ताल जारी है! यदि यही स्थिति बरकरार रही तो गंदगी और जलजमाव की मिश्रण पूरे शहर को दूसरे महामारी की चपेट में ले सकता है।
प्रधान लिपिक के व्यवहार से नाराजगी : बताते चलें कि एक तरफ जहां सफाई कर्मी द्वारा कथित तौर पर प्रधान लिपिक सुनील कुमार के द्वारा असहयोगात्मक रवैया अपनाने और जाति सूचक शब्द का प्रयोग कर गाली दिए जाने को हड़ताल का कारण बताया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ नगर परिषद प्रशासन द्वारा संघ के एक नेता का नाम उछाला जा रहा है, और कहा जा रहा है कि उन्हीं के द्वारा कर्मचारियों को दिग्भ्रमित कर हड़ताल कराया गया है। हालांकि इस विषम परिस्थिति से निपटने के लिए अनुमंडल प्रशासन द्वारा दोषी लोगों पर कार्रवाई करने के लिए संबंधित पुलिस प्रशासन को अनुशंसा भी की गई है। फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग : शहर को नारकीय स्थिति में लाने के लिए नगर परिषद दोषी है या सफाई कर्मी यह तो जांच की विषय है। लेकिन थोक के भाव में टैक्स अदा करने वाले शहरवासी सुपर मेसी की चक्की में पिसती जरूर नजर आ रही है। वैसे भी यह जगजाहिर है कि इस बोर्ड का पूरा कार्यकाल सरकार बनाने और सरकार गिराने में ही बीत रही है। बचे-खुचे समय सफाई कर्मियों को रूठने और मनाने में ही बीत जाने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है! इस बाबत बाढ़ नगर अध्यक्ष और कार्यपालक पदाधिकारी दोनों का कहना है कि सफाई कर्मियों का हड़ताल और असंवैधानिक है। गंदगी से ऊब चुके आम दुकानदार का अपना रोना अलग है।