बिहार सरकार जमीन संबंधी मामलों को लेकर सक्रियता दिखा रही है और कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। भूमि राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि राज्य में जमीन सर्वे और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।सरकारी जमीन पर कार्रवाईदिलीप जायसवाल ने कहा कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा एक बड़ी समस्या है।
उन्होंने आदेश दिया है कि तीन महीनों के भीतर सभी सरकारी जमीनों का दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) पूरा कर लिया जाए, ताकि जमीनों की लूट और विवाद पर रोक लग सके। उनका कहना है कि सरकारी जमीनों पर कब्जे को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, क्योंकि अब तक इन जमीनों को लूटने की प्रवृत्ति थी।130 साल पुराना सर्वे बदलने की योजनाउन्होंने बताया कि बिहार में जमीन का सर्वे 130 साल पहले हुआ था, जिसके चलते जमीन विवाद बढ़े हैं। वर्तमान में 35-37% पुलिस थानों के मामले भूमि विवाद से जुड़े होते हैं, और 17-20% सिविल कोर्ट में मुकदमे इसी वजह से चलते हैं। इसे सुधारने के लिए सरकार ने राज्यव्यापी जमीन सर्वेक्षण शुरू किया है।अब तक 75 लाख लोगों ने अपनी जमीन का डिक्लेरेशन किया है, जो कुल प्रक्रिया का 25% है। हालांकि, 15-20% जमीनें कोर्ट में विवादित होने के कारण सर्वे से बाहर हैं। जिनके दस्तावेज, वंशावली या अन्य समस्याएं हैं, उनकी मदद सरकार कर रही है।
जायसवाल ने बताया कि जब जनता की सहायता की जाएगी, तो सर्वे का काम आसान हो जाएगा।बेतिया राज की 15,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहणदिलीप जायसवाल ने यह भी बताया कि बेतिया राज के तहत 15,000 एकड़ जमीन का सरकार में अधिग्रहण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि बेतिया राज की रानी के कोई उत्तराधिकारी नहीं होने के कारण, जमीन का लूटपाट हो रहा था। इसे रोकने के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नया कानून लाया गया, जिसके तहत यह जमीन अब पूरी तरह से सरकार की हो गई है।जो गरीब लोग इस जमीन पर पहले से रह रहे हैं, उनके लिए अपील का प्रावधान रखा गया है। यदि उनका दावा सही पाया जाता है, तो उन्हें इस अधिग्रहण से बाहर रखा जाएगा। फिलहाल किसी को तुरंत विस्थापित करने की योजना नहीं है।भविष्य की योजनासरकार का लक्ष्य है कि भूमि विवादों को कम किया जाए और जनता को स्वामित्व के अधिकार दिए जाएं। इसके लिए सर्वे को जल्द पूरा करने और सरकारी जमीनों को सुरक्षित रखने पर प्राथमिकता दी जा रही है।