बिहार को लग सकता है बड़ा झटका, लीची उत्पादन में भारी गिरावट – अब नहीं रहेगा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य?

Patna Desk

बिहार, जो अब तक देश में लीची उत्पादन के लिए पहचाना जाता था, अब अपनी यह अहम पहचान खोने की कगार पर है। कभी देश की कुल लीची का लगभग 40% उत्पादन करने वाला यह राज्य, अब तेजी से पिछड़ता जा रहा है। ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि अब पश्चिम बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य लीची उत्पादन में आगे बढ़ने लगे हैं।


आंकड़े कर रहे हैं इशारा

2022-23 में जहां बिहार में करीब 3 लाख टन लीची का उत्पादन हुआ था, वहीं 2024-25 में यह घटकर मात्र 1.35 लाख टन पर सिमट गया। इसके विपरीत:

  • पश्चिम बंगाल में उत्पादन 72,820 टन से बढ़कर 82,500 टन हो गया।
  • छत्तीसगढ़ में 55,910 टन से 60,220 टन।
  • पंजाब में 50,000 टन से 71,480 टन।
  • हिमाचल प्रदेश में 4,610 से बढ़कर 7,560 टन।
  • उत्तर प्रदेश में 38,280 टन से 44,000 टन।

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि बिहार अपने शीर्ष स्थान से फिसल रहा है


लीची बागवानी की गिरती रुचि

राज्य में नए लीची बागान नहीं लग रहे, और जो पुराने बाग हैं, वे भी अब अपनी उत्पादकता खोते जा रहे हैं। किसान लीची की खेती से दूर होते जा रहे हैं, जिससे उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है।


पल्प उद्योग भी संकट में

लीची के प्रसंस्करण के लिए बिहार में पहले जो पल्प उद्योग फले-फूले थे, अब वे भी संघर्ष कर रहे हैं। कभी यहां 40-50 पल्प यूनिट थीं, अब यह संख्या घटकर 10 से भी कम रह गई है। कोल्ड स्टोरेज की कमी इस उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।


किसान संगठनों की चिंता

भारतीय लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में लीची संकट के पीछे कई कारण हैं—जैसे सरकारी उपेक्षा, जलवायु परिवर्तन, बागवानी में रुचि की कमी, और कोल्ड चेन जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव।


किसानों की अपील

राज्य के लीची उत्पादकों ने बिहार सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द पहल नहीं की गई तो बिहार अपने लीची उत्पादन की ऐतिहासिक पहचान पूरी तरह खो सकता है


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