बिहार में ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा देने की तैयारी शुरू हो चुकी है। कोल इंडिया लिमिटेड राज्य के पश्चिम चम्पारण जिले में 500 मेगावाट क्षमता वाला विशाल सौर ऊर्जा केंद्र स्थापित करने जा रही है। केंद्रीय कोयला एवं खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दूबे ने इस परियोजना को मंजूरी देते हुए राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव को पत्र भेजा है।
इस परियोजना से पटना जैसे बड़े शहर की आधी आबादी की बिजली जरूरत पूरी की जा सकेगी। इतना ही नहीं, कुल उत्पादन का एक-तिहाई हिस्सा गैर-परंपरागत ऊर्जा के लक्ष्य को भी मजबूत करेगा।
जमीन और समझौते की तैयारी
कोल इंडिया ने राज्य सरकार से परियोजना के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध कराने और बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (BSPGCL) के साथ पावर खरीद समझौता (PPA) करने का अनुरोध किया है। पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी को परियोजना स्थल तय करने का निर्देश दिया गया है। जल्द ही कोल इंडिया की तकनीकी टीम भौगोलिक सर्वेक्षण करेगी। शुरुआती आकलन में यह इलाका सौर परियोजना के लिए अनुकूल पाया गया है।
बिहार की बढ़ती सौर ऊर्जा क्षमता
वर्तमान में राज्य में कई सौर परियोजनाएं चल रही हैं। लखीसराय के कजरा में देश का सबसे बड़ा बैट्री आधारित सोलर पावर प्लांट बन रहा है, जिसमें दो चरणों में 426 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। बिहार सरकार ने 2029-30 तक 23,968 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है, जिसमें से 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा होगी।
ऊर्जा मंत्री का बयान
ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि पश्चिम चम्पारण की यह परियोजना राज्य के ऊर्जा सुरक्षा अभियान को मजबूत करेगी। उन्होंने बताया कि सरकार नहरों, तालाबों और विभिन्न इमारतों की छतों पर सोलर इंस्टॉलेशन को बढ़ावा दे रही है। साथ ही सिंचाई फीडरों का सोलरीकरण किया जा रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में किसानों को 752 मेगावाट बिजली मिल सकेगी।