NEWSPR डेस्क। कभी कांग्रेस के फरमान पर देश की सियासत चलती थी। आज उसी कांग्रेस को अपने वजूद को कायम रखने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करना होगा। केंद्रीय कमिटी चिंतन शिविर करती है तो बिहार कांग्रेस बिना अध्यक्ष के ही ताल ठोक रही है। आगामी चुनाव तक किस तरीके से खुद को कैसे कांग्रेस सर्वाइव करेगी यह तो वही जाने।
बिहार में कभी कांग्रेस की तूती बोलती थी। लेकिन आज की तारीख में उसे दिशा देने के लिए कोई आगे आने को तैयार नहीं है। यह हालात होने के पीछे कौन जिम्मेदार है यह तो खुद भी कांग्रेस अच्छी तरह जानती है। पर, वो इस मसले को जग जाहिर करना मुनासिब नहीं समझ रही है।
कांग्रेस को नई जान फूंकने के लिए चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में बिहार के राजगीर में भी दो दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित है। इस शिविर से कितना कांग्रेस को बल मिलेगा, बिखरे कुनबे को कितना समेटने में कामयाब हो पाएगी यह कांग्रेस के चिंतन शिविर में ही कुछ तय हो पाएगी।
बिहार से सियासी दांव बदलने की पूरी कोशिश की जा रही है। चाहे एनडीए हो या फिर यूपीए हो। मगर इस मुश्किल की घड़ी में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के लिए इसलिए नजर आ रही है, क्योंकि कांग्रेस को साथ लेकर चलने वाली राजद ने भी कांग्रेस सीट बंटवारे को लेकर कन्नी काट ली थी। अब ऐसे में कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा, अकेले मैदान में होगी, राजद के साथ होगी या फिर नए समीकरण की तलाश करेगी, इसके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।