पटना,
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) अब अपने महत्वाकांक्षी ‘दिव्यांगजन आपदा सुरक्षा कार्यक्रम’ को पूरे राज्य में लागू करने जा रहा है। समाज कल्याण विभाग की संस्था ‘सक्षम’ के सहयोग से पंचायत स्तर तक इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा। इसके लिए गुरुवार को प्राधिकरण के सभाकक्ष में जिला कार्यक्रम प्रबंधकों की बैठक-सह-कार्यशाला आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत ने की। इस अवसर पर सदस्य पी.एन. राय, नरेन्द्र कुमार सिंह, प्रकाश कुमार, सचिव मो. वारिस खान, ओएसडी मो. मोइज उद्दीन, विशेष सचिव आशुतोष सिंह, एसडीआरएफ कमांडेंट राजेश कुमार, सक्षम के डिप्टी सीईओ सुनील कुमार, बिपार्ड गेस्ट फैकल्टी डॉ. ओम प्रकाश, अभिप्सा स्पेशल स्कूल की सचिव सुमन कुमारी सहित सभी जिलों के जिला कार्यक्रम प्रबंधक मौजूद थे। संचालन नोडल पदाधिकारी संदीप कमल ने किया।
22 अगस्त को होगा शुभारंभ
कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ 22 अगस्त 2025 को किया जाएगा। इसी दिन राज्यभर में “आपदा सुरक्षा जागरूकता कैंप” (सुरक्षित शुक्रवार) 101 बुनियाद केंद्रों और अन्य चिन्हित स्थलों पर आयोजित होंगे। मुख्य उद्घाटन पटना के दानापुर स्थित बुनियाद केंद्र में होगा, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी केंद्रों से जुड़ा रहेगा। कैंपों के आयोजन में एसडीआरएफ और आपदा मित्र सहयोग करेंगे।
मानवीय संवेदना से जुड़ा प्रयास
डॉ. उदय कांत ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल योजना नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मानवीय प्रयास है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस संकल्प को याद किया, जिसमें उन्होंने 15 अगस्त 2022 को दिव्यांगजनों को आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास का आश्वासन दिया था।
उन्होंने बुनियाद केंद्रों को हैंडहोल्डिंग मॉडल के तहत प्रशिक्षण चलाने और दिव्यांगजनों को उनकी कार्यक्षमता के अनुसार तीन श्रेणियों में विभाजित कर, जरूरतमंदों को आजीविका या रोजगार से जोड़ने के निर्देश दिए।
विशेष प्रस्तुति और चर्चा
बैठक में सुमन कुमारी ने “दिव्यांगजनों की ज़रूरतें और प्रशिक्षक का दायित्व” विषय पर प्रस्तुति दी। इसमें शारीरिक, सामाजिक, शैक्षणिक और तकनीकी जरूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण सामग्री तैयार करने और आपदा के समय निकासी, पुनर्वास, दृश्य अलार्म, रैम्प, ब्रेल सामग्री और मानसिक सहयोग जैसे उपायों पर जोर दिया गया।
अंत में, आपदा की स्थिति में दिव्यांगजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, मॉक ड्रिल, प्रशिक्षण और अभिभावकों के साथ समन्वय बढ़ाने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। सभी जिला कार्यक्रम प्रबंधकों को इसे पंचायत स्तर तक प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए।