बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के बीच सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जहां सभी प्रमुख राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं चुनाव आयोग ने भी अपनी प्रक्रिया तेज कर दी है। इसी क्रम में आयोग ने राज्य के 16 पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है।
निष्क्रियता पर उठे सवाल
चुनाव आयोग के अनुसार, जिन दलों को नोटिस भेजा गया है, उन्होंने वर्ष 2019 के बाद से अब तक किसी भी लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया है। साथ ही, इन दलों की ओर से कोई भी राजनीतिक गतिविधि नहीं देखी गई है। यह नोटिस जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकरण रद्द करने की संभावित कार्रवाई के तहत भेजा गया है।
15 जुलाई तक देना होगा जवाब
उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सभी दलों को 15 जुलाई तक अपना स्पष्टीकरण भेजने का समय दिया गया है। ये जवाब ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से आयोग को भेजे जा सकते हैं। यदि तय समयसीमा में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो संबंधित दलों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
इन दलों को भेजा गया है नोटिस
जिन दलों को नोटिस भेजा गया है, उनमें शामिल हैं – भारतीय पिछड़ा पार्टी, भारतीय सूरज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), भारतीय जनता संगठन दल, बिहार जनता पार्टी, देसी किसान पार्टी, गांधी प्रकाश पार्टी, सहानुभूति जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक), क्रांतिकारी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समानता पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी (भारत), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण डेमोक्रेटिक पार्टी और बिजनेस फार्मर्स माइनॉरिटी फ्रंट।
पारदर्शिता की ओर एक अहम कदम
चुनाव आयोग का यह कदम निष्क्रिय राजनीतिक दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सक्रियता बनाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है। इससे न केवल गैर सक्रिय दलों की छंटनी होगी बल्कि पंजीकृत दलों की प्रामाणिकता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।