बिहार इस समय जल प्रलय की चपेट में दिख रहा है। आसमान से गिरती मूसलधार बारिश और उफनती नदियों ने राज्य के कई हिस्सों को त्रासदी में ढकेल दिया है। एक ओर गंगा का रौद्र रूप, तो दूसरी ओर कोसी, पुनपुन और गंडक जैसी नदियों का विनाशकारी प्रवाह—हर दिशा में सिर्फ़ तबाही के मंजर हैं। नेपाल और अन्य सीमावर्ती इलाकों में लगातार भारी बारिश के कारण बिहार की प्रमुख नदियाँ अब जीवनदायिनी नहीं, बल्कि संकट का कारण बन चुकी हैं।
राजधानी पटना के गांधी घाट पर गंगा खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। हाथीदह और कहलगांव में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां गंगा क्रमशः 1 सेंटीमीटर और 13 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। मानो नदियों ने अपनी मर्यादाएं तोड़ दी हों और अब अपने पूरे उफान पर हों।भागलपुर से लेकर बक्सर तक गंगा का जलस्तर खतरे की सीमा लांघ चुका है।
कहलगांव में हालात बेहद चिंताजनक हैं, वहीं सुल्तानगंज में डर का माहौल है। केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है कि आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो सकती है। भागलपुर में बीते 24 घंटों में गंगा का जलस्तर 1.10 मीटर तक बढ़ गया है। वहीं सबौर के चायचक क्षेत्र में भीषण कटाव हो रहा है, जिससे ज़मीन धीरे-धीरे दरक रही है और लोगों में दहशत का माहौल है। इस्माईलपुर के बिंदटोली में तटबंध पर भारी दबाव बना हुआ है—एक स्पर टूट भी चुका है। फ्लड फाइटिंग टीमें दिन-रात जूझ रही हैं, लेकिन बाढ़ का कहर हर प्रयास को छोटा साबित कर रहा है।पुनपुन नदी ने पटना में और कोसी नदी ने खगड़िया में खतरे का निशान पार कर लिया है। ‘बिहार की शोक नदी’ कही जाने वाली कोसी एक बार फिर अपना विध्वंसक रूप दिखा रही.