भागलपुर आयुक्त कार्यालय, भागलपुर प्रमंडल, भागलपुर के सभागार में हिमांशु कुमार राय, आयुक्त, भागलपुर प्रमंडल, भागलपुर की अध्यक्षता में 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया हिंदी दिवस के अवसर पर आयुक्त महोदय ने कार्यक्रम संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी भाषा ध्वनि का स्वरूप होती है, जिसे हम बोलकर या लिखकर प्रकट करते हैं हमारे देश में बहुत सारी बोलियां बोली जाती हैं।
हिंदी को हम देवनागरी लिपि में लिखते हैं सल्तनत काल और मुगल काल के दौरान सेना मुख्यालय में अनेक क्षेत्र से लोग आते थे। वहां भाषाओं का मिश्रण हुआ और हिंदवी का विकास हुआ।हिंदी का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है। हिंदी मुख्यतया मेरठ क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा थी। इसे सेना मुख्यालय में स्वीकार किया गया तथा हिंदी और उर्दू भाषा का नाम दिया गया। इसके साथ ही स्थानीय बोलियों भी इसमें समाहित होते गए। हिंदुस्तान में भाषा को दो श्रेणी में बांटा जाता है। उत्तर भारत की भाषा आर्य भाषा और दक्षिण भारत की भाषा द्रविड़ भाषा हिंदी भाषा को अफगानिस्तान ईरान तक के लोग समझते हैं, क्योंकि इसमें फारसी और उर्दू का भी समावेश है। दक्षिण भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग हिंदी भाषा को ठीक से नहीं समझ पाते। आंध्र प्रदेश में तेलुगू, तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़ और केरल में मलयालम भाषा बोली जाती है।
बताया जाता है कि तमिल भाषा 3000 वर्ष पुरानी भाषा है हिंदी के प्रसार में हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं, जहां हिंदी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। और वहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र हिंदी भाषा को अच्छी तरह से समझते हैं। और इस तरह से हिंदी का विस्तार हो रहा है आज आवागमन के साधन विकसित हुए हैं, इससे भी हिंदी का विकास हुआ है। दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारत और उत्तर भारत के लोग दक्षिण भारत जाते हैं। जहां संवाद के लिए एक सामान्य भाषा की जरूरत पड़ती है। इसमें हिंदी अपना योगदान दे रही है।उन्होंने कहा कि केरल में पदस्थापन के दौरान उन्हें काफी कठिनाई हुई थी, ज्यादातर लोग मलयालम बोलते थे और समझते थे। वे अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते थे। केरल पदस्थापन के दौरान उन्होंने मलयालम भाषा सीखी उन्होंने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया । कार्यालय की भाषा हिंदी बनी, लेकिन अंग्रेजी के स्वरूप को ही मान्यता प्रदान किया गया है हिंदी के विकास के लिए यह जरूरी है कि यहां कोई आविष्कार हो, कोई अद्भुत वस्तु उत्पन्न किया जाए या कोई रोचक साहित्य की रचना हो, जिसे जानने और पढ़ने के लिए विश्व का हर व्यक्ति उत्सुक हो और उसे हिंदी जानने की जरूरत हो, सीखने की जरूरत हो उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास में हिंदी फिल्मों का भी बहुत योगदान रहा है अच्छी हिंदी फिल्मों की मांग विदेश में भी रही है।
वहां के लोग यह भी कहते हैं कि हम अमिताभ बच्चन के संवाद को सुनते-सुनते हिंदी सीख गए उन्होंने कहा कि विगत 50 वर्षों में अंग्रेजी का काफी तेजी से विकास हुआ है और हिंदी साहित्य में रोचक रचनाएं नहीं आ रही है। आप कंप्यूटर खोलेंगे तो आपको सिर्फ अंग्रेजी ही दिखाई देगी। हिंदी राष्ट्रभाषा बने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जरूरत है कि सभी लोग अपनी बोलियों के साथ हिंदी भी बोलना शुरू करें गुजरात के लोग आज भी हिंदी नहीं समझ पाते हैं उन्होंने कहा कि प्रेक्षक के रूप में उन्हें गुजरात में प्रवास करने का मौका मिला है उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास के लिए किसी भाषा का विरोध करने की जरूरत नहीं है आज डिजिटल उत्पादन का युग है और वह सभी उत्पाद अंग्रेजी भाषा में जाने जाते हैं, जिसके कारण बिना अंग्रेजी के आप डिजिटल उत्पादों का उपयोग नहीं कर पाएंगे। आज चीन और जापान भी अपने लोगों को अंग्रेजी सीखा रहे हैं। सभी भाषा की अपनी अहमियत है इसलिए अन्य भाषाओं का सम्मान करते हुए हिंदी का अधिक से अधिक हम प्रयोग करें जिससे हिंदी भाषा का विकास हो। यदि हिंदी हमारी मां है तो यह मान कर चलें कि अंग्रेजी हमारी मौसी है। अन्य भाषा को भी उतना ही सम्मान देने की जरूरत है, सभी भाषा महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों पढ़ाएं। हां वे हिंदी का प्रयोग अधिक से अधिक करें। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी श्री अनिल कुमार राय ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस का मनाया गया था और तब से आज तक हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि हम हिंदी का सर्वत्र प्रयोग करें और इसे सशक्त बना दे। हिंदी दिलों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है यदि आप विदेश जाएं तो वहां हिंदी भाषा मिलने पर आपको लगता है कि कोई मेरा भाई मिल गया। भारत भाषाओं को लेकर विविधताओं का देश है। एक भाषा का प्रयोग होने पर संस्कृतियों और भाईचारगी के आदान-प्रदान में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि आज हिंदी में चिकित्सा, विज्ञान, अभियांत्रिकी की पुस्तक भी लिखी जा रही है। हिंदी भाषा क्षेत्र के बच्चों को आज भी दिल्ली यूनिवर्सिटी तथा आईआईटी में अंग्रेजी बोलने में सहूलियत महसूस नहीं होती है।
हिंदी भाषी क्षेत्र के बच्चे हिंदी बोलने में ही अपने को ज्यादा कंफर्टेबल महसूस करते हैं उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को सुदृढरित करने हेतु इस कार्य व्यवहार मिलने की जरूरत है कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अवर सचिव, आयुक्त कार्यालय, भागलपुर श्री रघुवीर मंडल ने हिंदी के महत्व पर व्यापक प्रकाश डाला कार्यक्रम का संचालन करते हुए संयुक्त निदेशक जनसंपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता ने हिंदी साहित्य के इतिहास से अवगत कराते हुए उन्होंने हिंदी भाषा के क्रमिक विकास पर प्रकाश डाला तथा हिंदी के महत्वपूर्ण रचनाओं और उनके साहित्यकारों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के विकास के लिए जरूरी है कि इसमें रोचक साहित्य का सृजन किया जाए, विज्ञान, चिकित्सा, अभियंत्रण विषय की पुस्तके हिंदी में लिखी जाए। भारत को एकता के सूत्र में पिरोए रखने के लिए एक सामान्य भाषा हिंदी को सशक्त बनाना अति आवश्यक है। कार्यक्रम में आयुक्त के सचिव श्री विनोद कुमार सिंह आयुक्त कार्यालय के सभी पर शाखा पदाधिकारी उपस्थित थे।