NEWSPR DESK– मुख्यमंत्री ने आँकड़े नहीं बदलने पर तीन स्वास्थ्य सचिवों का तबादला कर Anti-gen का वो “अमृत” मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकड़ा 10 हज़ार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया।
बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच बेचकर भी कमाई कर लेती। इंडियन एक्सप्रेस की जाँच में यह साफ हो गया है कि सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया।
हमारे द्वारा जमीनी सच्चाई से अवगत कराने के बावजूद CM और स्वास्थ्य मंत्री बड़े अहंकार से दावे करते थे कि बिहार में सही टेस्ट हो रहे हैं। टेस्टिंग के झूठे दावों के पीछे का असली खेल अब सामने आया है कि फर्जी टेस्ट दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों का भारी बंदरबांट किया है!
अहंकारी सरकार और उसके मुखिया ना जनता की सुनते है, ना जनप्रतिनिधियों की और ना विपक्ष की।
क,ख,ग,घ के विश्वविख्यात ज्ञाता श्री नीतीश कुमार जी को मैंने विगत अगस्त माह में सदन में सबूत सहित आँकड़े दिए थे लेकिन वो सुनेंगे क्यों? सुनेंगे तो उनका भ्रष्टाचार रुक जाएगा और नुकसान होगा।