कैमूर: जिले के सदर अस्पताल भभुआ से जुड़ा हुआ है। जहां सरकार के स्तर से एक्स आर्मी और बीएसएफ के रिटायर्ड जवानों को 17836 रुपया प्रति व्यक्ति प्रति माह का भुगतान एनजीओ को कराया जाता है, लेकिन एनजीओ द्वारा इन गार्डों का शोषण करते हुए मात्र 11000 रुपए का ही भुगतान किया जा रहा है । इन जवानों के ऊपर अस्पताल परिसर में सुरक्षा और विधि व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है। पूरे कैमूर में आर्मी, और बीएसएफ से रिटायर्ड कुल 55 जवानों की तैनाती की गई है वहीं प्राइवेट के तौर पर 49 गार्ड की तैनाती की गई है।सदर अस्पताल भभुआ के सुरक्षा में लगे बीएसएफ के रिटायर्ड जवान कमलेश कुमार और आर्मी से रिटायर जवान बब्बन सिंह बताते हैं हम लोग सदर अस्पताल भभुआ परिसर में कुल 30 गार्ड सुरक्षा को लेकर लगाये गये है, 8 घंटे प्रति शिफ्ट की ड्यूटी होती है। तीन सिफ्ट में हम सभी लोग काम करते हैं।
हम लोगों को मात्र 11000 रुपए एनजीओ के नाम पर भुगतान किया जाता है। जिससे परिवार का खर्चा चलाना संभव नहीं है । इसकी शिकायत हमलोगों ने सिविल सर्जन और जिलाधिकारी को भी किया है लेकिन कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई । हमलोग चाहते हैं कि जो सरकार से हम लोग को राशि मिलता है वह मिलना चाहिए। सबसे बड़ा मसला यह है कि सुरक्षा व्यवस्था में लगे गार्ड का आखिरकार पैसा कौन हड़प ले रहा है बीच में पैसा हड़पने के पीछे मकसद क्या है और यह कितने दिनों से किया जा रहा है यह रहस्य बना हुआ है आखिरकार प्रशासन इस पर अभी तक चुप व निरंकुश क्यों पड़ी है प्रशासन। सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार गार्ड बहाल करने वाले कराने वाले का खूब रोब चलता है अस्पताल परिसर में अधिकारियों टाइप रोब जमता है।
कैमूर सिविल सर्जन डॉक्टर शांति कुमार मांझी ने बताया कैमूर जिले के अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर रिटायर्ड जवान 55 और प्राइवेट गार्ड 49 लगाए गए हैं। रिटायर्ड जवान की सैलरी 17836 रुपए और प्राइवेट गार्ड की सैलरी 14662 रुपए हमलोग एनजीओ को भुगतान करते हैं । अभी किसी के द्वारा राशि कम मिलने की शिकायत नहीं की गई है। शिकायत मिलेगा तो कार्रवाई की जाएगी। कंपनी को भी ब्लैकलिस्टेड किया जाएगा। यहां पर सिक्स सेंस नामक प्राइवेट कंपनी गार्डों के लिए काम करती है।