NEWSPR डेस्क। रूस-यूक्रेन के युद्ध के बीच बिहार के लगभग हर जिले से बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं। मोतिहारी के भी कई बच्चे वहां फंसे हैं। ऐसे में जिले से एक अच्छी और सुखद खबर आई है। जहां एक छात्र घर वापस आ गया है। बस से उतरते ही सबसे पहले चम्पारण के धरती को पूजा किया। आशीष रविवार को सकुशल अपने घर वापस लौट आया। बेटे को देखते ही सभी परिजनों के आखें खुशी से नम हो गई। मां अपने लाडले को गले से लगाया और फिर उसकी आरती भी उतारी। भारत और बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास के बाद आशीष अपने मां-बाप, दादा-दादी के पास लौट आया है।
परिजनों ने बताय कि कभी सपने में भी नही सोचा था कि जिस जिगर के टुकड़े को वे लोग मेडिकल की पढ़ाई करने और डॉक्टर बनाने के सपने से यूक्रेन भेजा था। वो युद्ध के बीच फंस जाएगा। आलम ये था कि उनका ये पुत्र कई दिनों तक यूक्रेन के चैनिबस्ति में बंकर में शरण लिए हुए था और उसके पास खाने पीने का भी कोई सामान नही था और न ही पैसे थे। न कोई अपना ओर न कोई हितैसी सहारा था तो सिर्फ ऊपर वाले का उम्मीद थी। जैसी उम्मीद थी भारत सरकार ने ठीक वैसा ही किया और वहां फंसे अपने देश के बच्चो के लिए व्यापक इंतजाम किया। नतीजा है कि आज आशीष 235 भारतीय बच्चों जिसमे पांच बिहारी छात्र छात्राएं शामिल है उनके साथ अपने वतन को लौट आया है। वहीं मोतिहारी पहुंचते ही आशीष ने सबसे पहले अपने पिता के पैर छुए फिर चम्पारण की धरती की मिट्टी को अपने माथे पर लगाया और फिर अपने माँ, दादी और अन्य परिजनों का आशीर्वाद लेने के बाद भावुक हो गया। उसके बाद आशीष ने बातचीत के क्रम में यूक्रेन और वहां फंसे बच्चो की कहानी बताई। वहीं अपने पुत्र की सही सलामत वापसी पर बात करते हुए उसके पिता समाजसेवी मुन्ना गिरी भावुक होकर भारत और बिहार सरकार के सराहनीय कदम की तारीफ की। आशीष के घर वापसी पर उसके पड़ोसियों और मोहल्लेवासियों में खुशी का माहौल है और सभी लोग भारत माता और भारत सरकार की जय जय के नारे लगाया।
मोतिहारी से धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट