NEWSPR डेस्क। सरकार भले ही लाख दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बिहार सहित मोतिहारी में बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ रही है ।बच्चे कचरे में अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं और अधिकारियों की लापरवाही व राजनेताओं की उदासीनता से ये मासूम गम्भीर बीमारियों का शिकार होकर काल के गाल में समां रहे हैं ।नगर परिषद व जिला प्रसाशन की लापरवाही से एक ओर जहां ये बच्चे चंद पैसो की लालच में शहर के कूड़ा घरों से कचरा निकाल रहे हैं और अपनी सेहत खराब कर रहे हैं वही इन बच्चो को कोई देखने सुनने वाला तक नही । ऐसा नहीं है कि इन बच्चों पर जिले के अधिकारियों की नज़र नहीं पड़ती, या इन्हें जानकारी नहीं है, बल्कि ये बच्चे शहर में घूम घूम कर कचरे के ढेर से कबाड़ निकलते आपको अक्सर मिल जाएंगे ।
मोतिहारी से जो तस्वीरें सामने आई है, वोआपको सोचने पर मजबूर कर देंगे। वो तस्वीरें आपको हैरान कर देगी। जिस समाज में बच्चो को भगवान का दर्जा दिया जाता है जिस राज्य व देश में बाल श्रम कानून के लंबे लंबे दावे किए जाते हो और जिस शहर में बच्चों के काम करवाने पर रोक हो वहां बच्चें चंद पैसो की लालच में शहर के कूड़ा घरों से कचरा निकाल रहे हैं। आपको बता दें मोतिहारी में बड़े-बड़े अधिकारी नियुक्त हैं, बावजूद इसके शहर में अगर सैकड़ो की संख्या में मासूम बच्चे विद्यालय जाने के बजाय कचरे में अपना भविष्य ढूंढे तो इसे क्या कहेंगे । खास बात ये भी है कि जिस चम्पारण से महात्मा ग़ांधी ने चम्पारण सत्याग्रह की शुरुवात की हो और पूरे देश को आज़ादी दिलवाई हो, साथ ही जिस जिले में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महात्मा ग़ांधी ने अपने शुरुआती दिनों में तीन-तीन बुनियादी विधालयो की स्थापना की हो वहां पर अगर बच्चे कचरे में अपना भविष्य ढूंढे तो सुशाशन की सरकार के लिए इससे बड़ी शर्मनाक तस्वीर नहीं मिल सकती । यहां के मासूम बच्चे अपनी जान पर खिलवाड़ कर अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं वो भी प्रसाशन के नाक के नीचे ऐसा काम कर रहे हैं, पर प्रशासन को लोग मुकदर्शक बने हुए हैं।