NEWSPR डेस्क। मुसीबत में पुराने साथी ही काम आते हैं, शायद यह बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझ आ गई है। तभी तो बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उम्मीद से काफी कम सीट आने के बाद अपने पुराने साथियों को समेटने में लगे हैं। नीतीश कुमार पुराने गिले-शिकवे मिटाकर एक बार फिर से अपने आप को मजबूत और काफी ताकतवर बनाना चाहते है। 2005 में जिन नेताओं के बल पर नीतीश कुमार ने बिहार के सत्ता पर कब्जा जमाया था, अब उन्हें यह अहसास हो रहा है कि पुराने साथी ही उनके लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मनमुताबिक सीट नहीं मिली। जिसके बाद उनको अपने पुराने साथियों की याद आई तभी तो उपेंद्र कुशवाहा की विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी उन्हें अपने आवास पर बुलाकर घंटों बात की और अब खबर है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP का जदयू में विलय हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो कुशवाहा और नीतीश की वोट प्रतिशत 8.5 फीसदी हो जाएगी और दोनों को काफी मजबूती मिलेगी।
वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण के सहारे खुद को सत्ता के करीब रखा है। लेकिन इस समीकरण में लव को जबरदस्त फायदा मिला तो कुश में नाराजगी दिखी। बिहार में कुर्मी समाज की आबादी करीब 4 फीसदी के करीब है। इसमें अवधिया, समसवार, जसवार जैसी कई उपजतियां हैं। नीतीश कुमार अवधिया हैं, जो संख्या में सबसे कम है, लेकिन नीतीश काल में सबसे ज्यादा फायदा पाने वाली जाति है।
कुशवाहा बिरादरी का 4.5 फीसदी वोट है। ऐसे में दोनों मिल जाते हैं तो नीतीश कुमार और खासकर जदयू को इसका फायदा मिलेगा। तकरीबन 8.5 फीसदी वोट दोनों जातियों को मिलाकर है। ऐसे में नीतीश कुमार अभी से अपने को मजबूत करने लगे है।
नीतीश कुमार ने अपने सबसे पुराने दोस्त और संपूर्ण क्रांति के साथी नरेंद्र सिंह से भी संपर्क किया है। हालचाल पूछने के बहाने नीतीश कुमार ने नरेंद्र सिंह से फोन पर काफी देर तक बात की। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने उनके पटना आने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि दो-चार दिन में वह पटना आएंगे।
फिर पटना आने पर मिलने की बात कहकर बात खत्म हुई। नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह चकाई से निर्दलिय विधायक हैं, जिन्होंने NDA सरकार का समर्थन किया है। ऐसे में सुमित सिंह का बिहार सरकार में मंत्री बनना तय माना जा रहा है। इस बहाने भी नीतीश-नरेंद्र की दोस्ती परवान चढ़ेगी। नागमणि, वृषिण पटेल सहित कई पुराने नेताओं से भी मुलाकात मुमकिन है कि नीतीश कुमार की फेहरिस्त में नागमणि, वृषिण पटेल सहित कई पुराने नेता हैं, जिनको सीएम संपर्क कर अपने पाले में ला सकते हैं।
इससे पहले नीतीश कुमार ने अपने पुराने साथी जीतनराम मांझी को विधानसभा चुनाव से पहले अपने साथ ले लिया। यहां तक कि जीतनराम मांझी के पुत्र संतोष सुमन को अपनी सरकार में मंत्री भी बना दिया। नई बनी सरकार में नीतीश कुमार काफी कमजोर हैं। बहुमत NDA को मिली है, जदयू को महज 43 सीटें ही मिली हैं। ऐसे में नीतीश कुमार अपने आप को सरकार रहते ही इतना मजबूत कर लेना चाहते है कि भाजपा के सामने उन्हें मजबूर ना होना पड़े।