बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य में अपराधियों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू हो चुका है। पुलिस मुख्यालय ने राज्यभर के जिलों में 1268 कुख्यात अपराधियों पर सीसीए-3 लगाने की अनुशंसा करते हुए संबंधित जिलाधिकारियों को प्रस्ताव भेजे हैं।
इनमें से 296 मामलों में पहले ही आदेश पारित कर दिया गया है, जबकि बाकी मामलों की जांच प्रक्रियाधीन है।यह सख्त कार्रवाई बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 की धाराओं सीसीए-3 और सीसीए-12 के तहत की जा रही है। ये प्रावधान उन अपराधियों के लिए हैं, जिनकी मौजूदगी से चुनावी माहौल, सामाजिक शांति और कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है।सीसीए-3 के अंतर्गत उन आरोपियों को चिन्हित किया जाता है जिन पर पूर्व में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है या जो आदतन अपराधी हैं। ऐसे लोगों को जिला बदर किया जा सकता है या उन्हें थाने में नियमित उपस्थिति देनी होती है।सीसीए-12 के तहत, यदि किसी आरोपी की रिहाई से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, तो उसे बिना किसी नए केस के भी जेल में रखा जा सकता है। प्रारंभ में तीन महीने के लिए आदेश जारी होता है, जिसे परिस्थितियों के अनुसार आगे बढ़ाया जा सकता है।राज्य में फिलहाल 5000 से अधिक वांछित अपराधियों को जिला बदर करने की तैयारी चल रही है।
इसके अलावा सीसीए-12 के अंतर्गत 50 से अधिक कैदियों की सूची भी तैयार कर ली गई है।जैसे –नागमणि महतो (बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के कुंभी गांव निवासी)सुनील यादव (नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के अब्दलपुर गांव निवासी)इन दोनों अपराधियों के खिलाफ सीसीए-12 के तहत प्रस्ताव भेजा गया है।एडीजी (कानून-व्यवस्था) पंकज कुमार दराद ने बताया कि सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में ऐसे अपराधियों की पहचान कर सूची भेजें, जिनके खिलाफ सीसीए के तहत कठोर कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “राज्य की कानून-व्यवस्था से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाएगा।”इस बार बिहार प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में है। अपराधियों के लिए अब कोई राहत नहीं बची है। जो दबंग पहले जिले में राज करते थे, अब उन्हें जिले से बाहर किया जा रहा है। कानून का डंडा अब सिर्फ दिखावे का नहीं, बल्कि असरदार साबित हो रहा है।