बिहार पुलिस में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी, थानों से लेकर डायल 112 तक महिला पुलिस का दबदबा

Jyoti Sinha

पटना, बिहार पुलिस में महिलाओं की मौजूदगी लगातार मजबूत हो रही है। थानों से लेकर मुख्यालय तक महिला पुलिसकर्मियों को अहम जिम्मेदारियां मिल रही हैं। अकेले सिपाही पद पर ही 31,882 महिलाएं तैनात हैं, जो कुल बल का लगभग 35.8 प्रतिशत है। अधिकारियों को जोड़ दें तो यह संख्या पुलिस फोर्स का 37 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है। यह बदलाव राज्य में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण मिलने का नतीजा है।

डायल 112 की कमान महिलाओं के हाथ
आपातकालीन सेवा डायल 112 का संचालन भी अब महिला पुलिसकर्मियों के हवाले है। लगभग 400 महिला पुलिसकर्मी तीन शिफ्टों में इस सेवा को संभाल रही हैं। औसतन 13 से 14 मिनट में कॉल पर पुलिस मौके पर पहुंच जाती है। वहीं, “सुरक्षित सफर” सेवा के तहत रात में अकेली महिलाओं को घर या गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की सुविधा दी जा रही है। अब तक 200 से अधिक महिलाएं इसका लाभ ले चुकी हैं।

हर थाना महिला पुलिस से सशक्त
राज्य के सभी 1326 थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। हर थाने में महिलाओं के लिए अलग फ्लोर पर बैरक भी बनाए गए हैं ताकि ड्यूटी के दौरान किसी तरह की असुविधा न हो। पटना ट्रैफिक पुलिस में भी महिलाओं की मौजूदगी साफ दिखती है, चाहे चौक-चौराहे हों या चेकपोस्ट।

पहली बार पुलिस विभाग ने महिला चालकों की भर्ती भी की है। 54 महिला चालक ट्रेनिंग पूरी कर ड्यूटी पर तैनात हो चुकी हैं। हालांकि, करीब 1700 पद अब भी खाली हैं क्योंकि इस क्षेत्र में महिलाओं की रुचि अपेक्षाकृत कम है।

बदल रहा थानों का माहौल
महिला पुलिस की बढ़ती संख्या से थानों की तस्वीर बदल चुकी है। पहले जहां महज 1–2% महिलाएं दिखाई देती थीं, अब यह संख्या करीब 35% तक पहुंच गई है। इससे महिला पीड़िताओं को थाने जाने में न तो हिचकिचाहट होती है और न ही डर। बयान दर्ज करने, छापेमारी और मेडिकल जांच जैसी प्रक्रियाएं भी आसान हो गई हैं।

डीजीपी की राय
डीजीपी विनय कुमार के अनुसार, आरक्षण की वजह से पुलिस में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। थानों से लेकर विशेष इकाइयों तक उनकी मौजूदगी ने न सिर्फ कामकाज को आसान बनाया है, बल्कि पुलिस की छवि को भी सकारात्मक दिशा दी है।

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