NEWSPR डेस्क। बिहार में जेपी पर सियासी पारा लगातार चढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ केंद्रीय मंत्री अमित शाह छपरा के सिताबदियारा में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के पैतृक गांव उनके जन्मदिन पर 11 अक्टूबर को आने वाले हैं….वहीं सूबे के विकास पुरुष के रुप में खुद की पहचान कायम कर चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 8 अक्टूबर को यानि जेपी की पुण्यतिथि पर सिताबदियारा में जाकर एक सड़क का उद्घाटन कर आए और जेपी की पत्नी प्रभावती देवी के नाम पर अस्पताल का नामकरण भी कर दिया।
जेपी के गांव में किसी प्रकार की कोई दिक्कत आम आवाम को न हो इसके लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को पूरी तरह से अलर्ट मोड में ला दिया है।
ये तो रहा जेपी जयंती पर कार्यक्रमों का सिलसिला, लेकिन इस जयंती के बहाने सियासी पारे लगातार चढ़ने के पीछे की वजह को भी जानना बहुत जरुरी है। क्योंकि सिताबदियारा और जेपी एक सिक्के के दो पहलू हैं उसी प्रकार वर्ष 1974 का जेपी आंदोलन और उससे उपजे बिहार के तीन दिग्गज नेताओं में लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार का नाम शूमार है। इन तीनों ने अपनी ऐसी राजनीतिक बिसात बिछायी जिससे सभी वाकिफ हैं….
कांग्रेस की हिटलरी चाल चलने वाली इंदिरा गांधी जिन्हें जेपी बेटी की तरह मानते थे, की क्रूर नीतियों के कारण जेपी ने 1974 में चूल हिलाकर रख दिया था। वही इंदिरा जिन्हें इतना स्नेह देते थे, ने जेपी पर पटना के गांधी मैदान में जमकर लाठियां बरसायीं और आखिरकार 8 अक्टूबर को जेपी ने इस दुनिया को अलविदा कर दिया।
हम बात कर रहे थे बिहार से राजनीतिक सियासत की तो कल तक भाजपा और जदयू . साथ-साथ थे लेकिन अलग होने के साथ ही एक ही मुद्दे पर जोर आजमाईश कर आम जनता के बीच जेपी के लिए सबसे अधिक काम करने का दावा पेश करने लगे हैं। अगर आपको याद होगा तो ये भी याद होगा की 23 अप्रैल 2022 को 1857 गदर के सेनानी बाबू कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोजपुर जिले के जगदीशपुर आए थे और बड़ी संख्या में लोग उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। या यों कहें कि इस आयोजन का नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। मगर नीतीश बाबू ने उस दिन मीडिया का जमकर सहारा लिया और अपने कुंवर सिंह पर किए गए कार्यों से लोगों को रुबरु कराया था। ठीक उसी तरह जेपी जयंती में भी आपसी रस्साकसी देखने को मिल रही है।
अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की आखिर जेपी इस बार किसको रास आएंगे और किसको निराश कर पाएंगे….यह तो 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा।