NEWSPR डेस्क। महिलाओं की समस्या सुनने तथा उनका निदान करने के लिए बनाई गई राज्य महिला आयोग समिति भंग कर दिया गया है। अब इसे नए सिरे से पुनर्गठन होगा जहां पीड़ित महिला आवेदन दे सकेगी।
अब महिलाओं के द्वारा दिए गए आवेदन पर किसी प्रकार का सुनवाई नहीं होगा और जो मामले आ रहे हैं उसे अगले साल जनवरी-फरवरी की तारीख दी जा रही है।
आपको बता दें कि राज्य महिला आयोग 30 अक्टूबर तक चला जिसमें 25 मामले की सुनवाई की गई और फिर उसे अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने बताया कि आयोग का कार्यकाल 3 साल का था जो शुक्रवार को खत्म हो गया है।
उनके अनुसार अंतिम दिन 25 वादों कीं सुनवाई की गई। शेष मामलों में अगले साल जनवरी व फरवरी की तारीख दे दी गई है। आयोग भंग हो जाने के बाद अब किसी भी केस में सुनवाई नहीं होगी।
अधिकारियों के अनुसार कोई भी नया केस अगर आएगा तो उसे सिर्फ फाइल किया जा सकेगा। उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो सकेगी और न ही कोई फैसला लिया जा सकेगा।
पीडि़ता महिला आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपनी व्यथा ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से आयोग के समक्ष रख सकती हैं। उन पर आयोग के पुनर्गठन के बाद ही सुनवाई हो सकेगी। अध्यक्ष ने बताया कि अब जो मामले आएंगे, उनमें जनवरी या फरवरी की तारीख दी जा रही है।
उम्मीद है तब तक आयोग नए सिरे से गठित हो जाएगा। उन्होंने बताया, अब तक जितने भी मामले आयोग में आए, उनमें समाधान कर पीडि़ताओं को न्याय दिलाने की हरसंभव कोशिश की गई।
एक निजी स्कूल की शिक्षिका की शिकायत पर शुक्रवार को बिहार राज्य महिला आयोग में सुनवाई होनी थी। किंतु स्कूल के किसी प्रतिनिधि के हाजिर नहीं होने पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को निर्धारित की गई। आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजधानी के एक निजी स्कूल की शिक्षिका ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ महिला आयोग में मामला दर्ज कराया है। शिकायत में उन्होंने बताया है कि उसने स्कूल में बच्चों की पिटाई का विरोध किया था।
इसकी शिकायत प्रधानाध्यापिका से की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। शिक्षिका ने मानवाधिकार आयोग और सीबीएससी से भी मामले की शिकायत की है।