बिहार के राजीव बिट्टू खेती करने के लिए CA की नौकरी छोड़ दिये, अब 50 लाख से भी अधिक सलाना आय है
किसान धूप में अपना शरीर जलाता है, तब हीं हम घरों में बैठ कर आराम से भोजन कर पाते हैं। खेती करना आसान नहीं होता उसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती हैं। उन्हें मौसम के प्रहार का भी सामना करना पड़ता है सिर्फ इतना हीं नहीं उन्हें अक्सर हानि भी होती है। परंतु वो उससे घबराते नहीं हैं बल्कि उसका डटकर सामना करते हैं। आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात करेंगे जो CA बनने के बाद भी खेती कर रहे हैं।
राजीव बिट्टू बिहार राज्य के जिला गोपालगंज के रहने वाले हैं। उनका परिवार संयुक्त परिवार है। राजीव अपने बहनों और भाइयों में सबसे बड़े हैं तथा उन्हीं के साथ रहते हैं। राजीव के पिता बिहार सरकार के द्वारा निर्मित सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं। राजीव बिहार में पढ़ने के बाद आगे पढ़ने के लिए झारखंड चले गए। झारखंड के हजारीबाग के एक सरकारी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने लगे।
पढ़ाई का सफर
हजारीबाग की पढाई पूरी होने के बाद वो रांची चले गए और वहां आईआईटी की तैयारी कि परंतु उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। उसके बाद वो बीकॉम करने की ठानी और उसी वर्ष वो CA के लिए भी दाखिला लिए। साल 2003 में राजीव ने CA यानि चार्टेर्ड अकाउंटेंट की डिग्री प्राप्त की और वो CA बने।
5000 के किराए पर उन्होंने एक कमरे का घर लिया। उस वक्त उनका मासिक ग्वेतन 40,000 के करीब था। साल 2009 में उन्होंने रश्मि सहाय से शादी कर ली जो की “प्लास्टिक इंजीनियर” हैं।
साल 2013 में राजीव अपनी बेराजीव बिट्टू रांची में स्थित एक ब्लॉक ओरमांझी में लीज पर खेती करने लगे। अब राजीव CA करने के बावजूद भी खेती करना चाहते थे। वो बस किसानों की अहमियत को समझाने के लिए CA की नौकरी को छोड़ खेती का मार्ग चुने। राजीव का मनना है कि किसान हर मौसम में कडी़ मेहनत करते हैं, तब हीं हम खाना खा पाते हैं।टी को लेकर गोपालगंज आ गए। उनकी बेटी गाँव के लोगों के साथ बहुत खुश रहती थी। एक दिन राजीव अपने बेटी की व्यवहार से आश्चर्यचकित हो गए। वो एक किसान के गोद में इसलिए नहीं जाना चाहती थी क्योंकि वह उस किसान के कपड़ों में लगी गंदगी से दूर रहना चाहती थी। यह देख राजीव को बहुत बुरा लगा और उन्होंने खुद खेती करने का निश्चय किया।
राजीव बिट्टू रांची में स्थित एक ब्लॉक ओरमांझी में लीज पर खेती करने लगे। अब राजीव CA करने के बावजूद भी खेती करना चाहते थे। वो बस किसानों की अहमियत को समझाने के लिए CA की नौकरी को छोड़ खेती का मार्ग चुने। राजीव का मनना है कि किसान हर मौसम में कडी़ मेहनत करते हैं, तब हीं हम खाना खा पाते हैं।
राजीव को खेती की ज्यादा जानकारी नहीं थी, उन्होंने पहले खेती की पूरी जानकारी इकट्ठी की। उसके बाद कृषि विभाग में जा कर वहां के शिक्षकों से सलाह मांगी और कौन सी खेती किस प्रकार होती है इस बात की भी पूरी जानकारी ली। उसके बाद उन्होंने जमीन की तलाश शुरू की क्यूंकि उनके पास जमीन नहीं थी। रांची से 28 किलोमीटर की दूरी पर उन्होंने एक किसान से उसकी सभी शर्त्तों और नियम को मान कर 10 एकड़ जमीन लिया । उस किसान ने शर्त रखा कि उसको खेती से हुए लाभ में से 33 फीसदी की भागीदारी चाहिए। राजीव ने उसकी बात मानी और खेती की शुरूआत की।
राजीव शुरूआत करते हुए 7 एकड़ में जैविक उर्वरक का उपयोग कर खरबूज और तरबूज को उगाए जिसमें उन्होंने लगभग 2.50 लाख रुपए खर्च किए। उनके कठिन परिश्रम से उन्हें सफलता प्राप्त हुई। उनकी फसल कुल 19 लाख रुपए की बिकी, जिसमें से राजीव ने बताया की उन्हें लगभग 7-8 लाख का लाभ हुआ। इस सफलता से उनका मनोबल और बढ़ गया।
अब वो खेती के अलग-अलग तरीके ढूंढने लगे और उन तरीकों को अपनाने लगे। राजीव खेतों में काम करने के लिए लगभग 45 मजदूर रखे हैं। राजीव चाहते हैं कि वह कम-से-कम 1 करोड़ टर्नओवर की कमाई कर सके। इस कोशिश में उन्होंने 13 एकड़ जमीन लीज पर लिया और उस पर खेती की शुरूआत की। राजीव की कडी़ मेहनत से उन्होंने साल 2016 में 40 से 50 लाख का व्यवसाय किया।
राजीव अपने मुनाफे से खेती को आगे बढ़ाते हुए कुचू गांव में 3 एकड़ जमीन लीज पर लिए और उनमें सब्जियां उगाने लगे। राजीव का सपना पूरा हुआ अब उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ का है। परंतु अब उन्हें मौसम की चिंता रहती है कि अगर इलाका सूखाग्रस्त हुआ या ज्यादा बारिश के कारण बाढ़ आया तो दोनों हीं स्थिति में घाटा होगा।
37 वर्षीय देवराज और 33 वर्षीय शिवकुमार नाम के राजीव के दो दोस्त हैं, जो करते हैं उनकी खेती में मदद। राजीव ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग की मदद से करते हैं खेती। इसे उन्हें अधिक मुनाफा होता हैं। राजीव एक NGO भी चलाते हैं जिसका नाम “अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसाइटी” है।
राजीव बिट्टू जो कि CA होने के बावजूद किसानों की अहमियत समझते हैं और दूसरों को समझाने के लिए उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया उसके लिए NEWS PR उनकी तारीफ करता हैं और उमीद करता है कि उनके इस प्रयास से सब को प्रेरणा मिलेगी।