बेंगलुरु: दक्षिण भारतीय फिल्म जगत की लीजेंडरी अभिनेत्री बी. सरोजा देवी का सोमवार को 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित सरोजा देवी ने बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से सिनेमा जगत में शोक की लहर है।
बी. सरोजा देवी को तमिल सिनेमा में ‘कन्नड़तु पाइनगिली’ यानी ‘कन्नड़ की कोयल’ और कन्नड़ सिनेमा में ‘अभिनया सरस्वती’ यानी ‘अभिनय की देवी’ के नाम से सम्मानित किया जाता था।
10 जुलाई 1937 को जन्मीं सरोजा देवी ने मात्र 17 साल की उम्र में कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ (1955) से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इस डेब्यू फिल्म ने उन्हें नेशनल अवॉर्ड दिलाया और वह जल्द ही कन्नड़ सिनेमा की पहली महिला सुपरस्टार के रूप में स्थापित हो गईं।
इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों में प्रवेश किया और एम.जी. रामचंद्रन के साथ ‘नाडोडी मन्नन’ (1958) में काम किया। इस फिल्म ने उन्हें तमिल इंडस्ट्री की टॉप हीरोइनों की सूची में ला खड़ा किया। शादी के बाद भी उन्होंने फिल्मों से दूरी नहीं बनाई और एक्टिंग में सक्रिय बनी रहीं।
खुशबू सुंदर ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
अभिनेत्री और राजनेता खुशबू सुंदर ने बी. सरोजा देवी के निधन पर शोक जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
“दक्षिण भारतीय सिनेमा का एक स्वर्णिम युग समाप्त हो गया। सरोजा देवी अम्मा जैसी कोई नहीं थी। उन्होंने जो सम्मान और प्यार पाया, वह विरली ही किसी को मिलता है। वह बेहद विनम्र और स्नेही थीं। जब भी बेंगलुरु जाती थी, उनसे मिलना एक आदत बन गई थी। अब वो बेहद याद आएंगी। ओम शांति अम्मा।”
फिल्मी जगत में शोक की लहर
उनके निधन पर सिनेमा विशेषज्ञ श्रीधर पिल्लई ने भी प्रतिक्रिया दी:
“#SarojaDevi का जाना साउथ फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक गहरा आघात है। उन्होंने स्वर्णिम दौर में दर्शकों का दिल जीता। उनकी और एमजीआर की जोड़ी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ‘एंगा वीटु पिल्लई’, ‘अनबे वा’ जैसी फिल्में आज भी दर्शकों को याद हैं।”
बी. सरोजा देवी का जाना भारतीय सिनेमा की एक अद्भुत विरासत का अंत है। उनकी पहचान सिर्फ एक अभिनेत्री के तौर पर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा और परंपरा के रूप में सदैव बनी रहेगी।