Patna Desk (UP): यूपी में पड़ता है महोबा जिले. महोबा जिले से एक खबर आ रही है. खबर ये है कि, एक अनुसूचित जाति की महिला प्रधान को कुर्सी से नीचे बैठने को कहा गया. ये सुनकर थोड़ा तो अजीब लग रहा होगा कि आखिर एक महिला प्रधान के साथ ऐसा बर्ताव क्यों?
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दरअसल, ऐसा उस वक्त हुआ जब गांव के पंचायत भवन में एक ऑनलाइन मीटिंग चल रही थी. महिला प्रधान का आरोप है कि दबंगों के उसे जाति सूचक शब्द कहे और कुर्सी से नीचे बैठने को कहा. पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि जांच जारी है और उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी.
महोबा शहर कोतवाली के नथुपुरा गांव की प्रधान हैं सविता देवी. सविता को लोगों ने प्रधान चुना है, लेकिन ये बात शायद कुछ लोगों को पसंद नहीं आई. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “वो जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे, गाली दे रहे थे कि तुम यहां कुर्सी पर क्यों बैठी हो, नीचे बैठो. गालीगलौच कर रहे थे. गंदी-गंदी गालियां दी गईं हम लोगों को. मेरे पति और छोटी ननद भी वहीं बैठी थीं. उनके साथ भी गाली गलौज की गई. इसके बाद मारपीट की स्थिति बन गई. वो दबंग लड़का था. उसके साथ 4-5 लोग थे जो उसके सहयोगी थे.”
उन्होंने कहा कि ये पूरा वाकया उस वक्त हुआ जब 4 जून को अधिकारियों के साथ प्रधानों की मीटिंग चल रही थी. सविता का कहना है कि इस मीटिंग में SDM भी शामिल थे, और अधिकारी भी शामिल थे. ये सविता की पहली मीटिंग थी. उन्होंने कहा, “वो लोग आए और कहा कि अधिकारियों से ये सब बातें बोलो. हमने कहा कि सब बता दिया है कि क्या कमी है. उन्होंने कहा कि हमारे सामने बोलो. हमने समझाया कि बार-बार कहना ठीक नहीं है, लेकिन वह बदतमीजी करने लगा फिर. संविधान में सबको बराबर अधिकार दिए गए हैं. फिर भी हमें कुर्सी से नीचे बैठने को कहा गया.”
सविता का कहना है कि उन्होंने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया. इसका परिणाम ये हुआ कि पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि बाकी लोगों की तलाश जारी है. ASP आरके गौतम ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा, “इस मामले में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है. क्षेत्राधिकारी नगर के द्वारा इसकी जांच की जा रही है. एक व्यक्ति को इसमें गिरफ्तार कर लिया है. बाकी नामित आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाया जा रहा है. जल्दी ही इसका निस्तारण किया जाएगा.”
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1994 में भी किसनिया नाम की एक अनुसूचित जाति की महिला इस गांव की प्रधान बनी थीं. गांव के रसूखदार लोगों को ये बात पसंद नहीं आई थी. तब भी कुर्सी पर बैठने का विवाद था और आज भी है. महोबा का ही एक और मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में है. एक दलित युवक अलखराम की 18 जून को शादी है. उसकी इच्छा है कि वो घोड़ी पर बैठे, लेकिन गांव के लोग इसके खिलाफ हैं. अलखराम ने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी और मदद मांगी, साथ ही सोशल मीडिया पर भी गुहार लगाई. पुलिस का कहना है कि युवक की बारात को पूरी सुरक्षा दी जाएगी और वह जैसे चाहेगा, वैसे ही बारात होगी. वहीं भीम आर्मी ने भी युवक की शादी में शिरकत की घोषणा की है.
जानकारी मिलने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दो सदस्यीय टीम को थाना महोबखंड इलाके के गांव में भेजा. स्थानीय अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक कांग्रेस घोड़ी का इंतजाम करने की बात कही है.