NEWSPR DESK- भागलपुर बिहार कृषि विश्वविध्यालय, सबौर मे दिनांक मंगलवार को प्रसार कार्यकर्ताओं एवं प्रगतिशील किसानों हेतु जलवायु परिवर्तन के बीच फलों की बगीचा में बेहतर उत्पादन को लेकर बामेती, पटना द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय सेमीनार का समापन हुआ। इस दो दिवसीय सेमीनार-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम मे बिहार के 38 जिलों से कुल 106 प्रसार कार्यकर्ताओं एवं प्रगतिशील किसानों ने शतप्रतिशत भाग लिया। इस अवसर पर डॉ आर. के. सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ मिजानुल हक,कुलसचिव-सह-निदेशक प्रशासन, डॉ फिजा अहमद, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, डॉ आर. एन. सिंह, सह निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ अभय मानकर, उप निदेशक प्रशिक्षण, डॉ राजेश कुमार, पी.आर.ओ, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के साथ-साथ उद्यान (फल वैज्ञानिक) डॉ. कुमारी करुणा एवं डॉ पवन कुमार आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर मंच संचालन डॉ पवन कुमार, कनीय वैज्ञानिक, उद्यान (फल) द्वारा किया गया।
अपने सम्बोधन मे डॉ आर. के. सोहाने ने बदलते जलवायु में फल उत्पादन के महत्व एवं बागों का प्रबंधन पर जोड़ देते हुए कहा कि किसान भाई अधिक से अधिक फल वृक्षों का रोपण करें इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी एवं फल वृक्षों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम पड़ेगा। डॉ फिजा अहमद ने विभिन्न फलों के जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष्य में अधिक से अधिक फल वृक्षों के रोपन एवं नए बगीचों को लगाने हेतु उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को आवाहन किया।
इस अवसर पर डॉ मिजानुल हक ने भी किसानों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। डॉ आर. एन. सिंह, सह निदेशक प्रसार शिक्षा ने अपने सम्बोधन में उपस्थित किसानों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा की समय की मांग के अनुरूप इस सेमीनार का आयोजन जो जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फल वृक्षों से अधिक लाभ पा सकते हैं चूंकि इसमें सहनशीलता खाद्यान्न फसलों की तुलना मे काफी अधिक होता है अतः इस तरह के फल वृक्षों को लगाकर अधिक ये प्राप्त की जा सकती है।
इसके पूर्व उपस्थित किसानों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ने इस सेमीनार से संबंधित प्रतिक्रिया एवं अनुभव को साझा किया। लखीसराय जिले से आए एक किसान ने प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव को साझा किया।
प्रथम दिन के तकनीकी सत्र में केन्द्रीय फल अनुसंधान संस्थान, मालदा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ दीपक नायक ने ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और बागवानी: प्रभाव, शमन और अनुकूलन रणनीतियाँ पर प्रतिभागियों को अपना व्याख्यान दिया फिर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने में रूटस्टॉक्स की भूमिका विषय पर संबंधित जानकारी डॉ फिजा अहमद ने विस्तार पूर्वक प्रतिभागियों के बीच साझा किया। डॉ रूबी रानी ने नारियल एवं ताड़ कुल पौधे की व्यवहारित एवं जानकारी को साझा किया जो भविष्य के लिए जलवायु लचीली फसलें है। फलों की फसलों में फेनोलॉजिकल अध्ययन: जलवायु परिवर्तन का एक जैविक संकेतक विषय, कार्बन अवशोषण में फलों के पेड़ों की भूमिका, नई पीढ़ी के पौध वृद्धि नियामक: फलों की फसलों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना, जलवायु परिवर्तन का फल फसलों के रोगों पर प्रभाव, जलवायु परिवर्तन और फल फसलों के कीटों पर इसका प्रभाव आदि विषय पर विस्तार से वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया।
अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों एवं वैज्ञानिकों द्वारा सामूहिक रूप से वितररित किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अभय मानकर, उप निदेशक प्रशिक्षण द्वारा किया गया।