उत्तर वाहिनी गंगा तट पे बसा मुंगेर जो अपने आप में कई ऐतिहासिक और पौराणिक गाथाओं को समेटे हुए है । जिससे मुंगेर एक ऐतिहासिक शहर बन जाता है। इस मुंगेर के 56 किलोमीटर लंबे गंगा तटों पे कई घाट है । जिसमें सबसे महत्वपूर्ण तीन घाट है जिसमें कष्टहरणी गंगा घाट , बबुआ गंगा घाट और सोझी गंगा घाट। पर विडंबना तो यह है कि दो गंगा घाट जिसमे बबुआ और सोझी गंगा घाट का नमामि गंगा योजना के तहत विकास तो कर दिया गया । पर जिले का सबसे महत्वपूर्ण और आस्था का केंद्र कष्टहरणी गंगा घाट आज भी उपेक्षित है।
जानकारों के अनुसार गंगा यहीं से उत्तर वाहिनी होती है । साथ ही इस घाट को रामायण काल से भी जोड़ के देखा जाता है । जहां भगवान राम ने किया था स्नान । जिससे इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस घाट पे कई मंदिर बने हुए है । पर यह घाट हमेशा से अपने किसी तारणहार का इंतजार करती रही पर अब तक किसी ने पहल कर इस घाट का जीर्णोधार नहीं किया । पर जब अब मुख्यमंत्री 5 फरवरी को प्रगति यात्रा के दौरान मुंगेर आयेंगे तो लोगों को यह आश है कि इस कष्टहरणी गंगा घाट को ले भी कोई घोषणा कर सकते है। ऐसे में मुंगेर वासियों के द्वारा मुख्यमंत्री से यह मांग कर दी है कि इस ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कष्टहरणी गंगा घाट का जीर्णोधार को ले भी कोई घोषणा करे ताकि मुंगेर की शान कष्टहरणी घाट का विकास हो जाए और यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिले ।क्यों की इस घट के सीढ़ियां , काफी जर्जर हो चुकी है , कई मंदिर अब भी मिट्टी अंदर धंसे पड़े है। ऐसे में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है । अतः वे डीएम के माध्यम से सीएम से मांग करते हैं तारणहार बन इस कष्टहरणी गंगा घाट का विकास करें ।