बिहार में जारी राजस्व महाअभियान पर अब रुकावटें बढ़ने लगी हैं।भूमि सर्वेक्षण और निबंधन प्रक्रिया की रीढ़ माने जाने वाले विशेष सर्वेक्षण अमीन अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसका सबसे बड़ा असर मसौढ़ी अंचल में देखा जा रहा है, जहां कुल 19 अमीन काम छोड़ आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
हड़ताल पर गए अमीनों का कहना है कि वे लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सेवाओं का नियमितीकरण नहीं किया गया। उनका आरोप है कि भूमि सर्वेक्षण और राजस्व महाअभियान जैसे बड़े और तकनीकी कार्यों का बोझ उन्हीं पर है, फिर भी उन्हें स्थायी सुविधा और तय वेतनमान नहीं मिल रहा। अमीनों की मांग है कि सेवा नियमित की जाए, वेतनमान तय हो और सेवा शर्तों को स्पष्ट किया जाए। उनका साफ कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
इस हड़ताल से सरकार की उस महत्वाकांक्षी योजना की रफ्तार थमने लगी है, जिसके तहत हर गांव और पंचायत में ऑनलाइन नामांतरण, निबंधन, बंटवारा, म्यूटेशन और भूमि विवादों के निपटारे के लिए विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों में अमीनों को लैपटॉप और इंटरनेट डोंगल उपलब्ध कराकर मौके पर ही आवेदन दर्ज करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
मसौढ़ी अंचल अधिकारी प्रभात रंजन ने बताया कि हड़ताल से काम पूरी तरह ठप न हो, इसके लिए वैकल्पिक इंतज़ाम किए गए हैं। इसके तहत टोला सेवक, आंगनबाड़ी सहायिका, पीआरएस और आवास सहायकों को काम में लगाया गया है। हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि तकनीकी अनुभव की कमी के कारण ये कर्मी उतनी दक्षता और तेजी से काम नहीं कर पा रहे, जितनी उम्मीद अमीनों से रहती है।