एक युवक का अजीबोगरीब शौक,काली चील से कर ली दोस्ती

Patna Desk

एक युवक को अजीब ही शौक जिसने अपना दोस्त काली चील को बना रखा ह

भागलपुर आपने कबूतर व तोते से लोगों को दोस्ती करते जरूर देखा या सुना होगा. लोग अक्सर घरों में कबूतर, तोता, बजरी जैसे जीव से दोस्ती करते हैं. लेकिन भागलपुर के एक युवक को अजीब ही शौक है और उसने अपना दोस्त काली चील को बना रखा है. दरअसल इस व्यक्ति का जीवन पर्यावरण के प्रति ही समर्पित है. वह तरह-तरह के जीव जानवरों को रेस्क्यू कर बचाते हैं, और उनसे दोस्ती कर बैठते हैं. कुछ ऐसा ही अभी भी हुआ तीन चील को रेस्क्यू कर ले आये और वह तीनों चील इनका ऐसा दोस्त बन गया मानो बचपन उनके साथ बिता हो. छत पर आते ही चील पहुंच जाता है.पर्यावरण के प्रति समर्पित है जीवन दरअसल हम बात कर रहे हैं भागलपुर के मुंदीचक के रहने वाले दीपक की. दीपक कई वर्षों से प्रकृति से प्रेम करते आया है, और उनका यह जीवन प्रकृति के प्रति ही समर्पित भी है. दीपक हाल ही में उल्लू, काली चील, मधुबाज, सांप, गिलहरी समेत कई तरह के पशु पक्षी को रेस्क्यू कर और उसकी जान बचा चुका है. ऐसे में ही भीखनपुर के समीप एक रेलवे पटरी पर घायल काली चील को लाकर और उसे बचाया था तो वही तेज आंधी के कारण दो चील तार के पेड़ से नीचे गिरकर और घायल हो गए थे जिसके बाद उन्हें बचाया था. उसके बाद उनसे गहरी दोस्ती हो गई और अब दोस्ती ऐसी हो गई है की छत पर आते ही जैसे ही हाथ हिलाते हैं वह चील उनके पास उड़ते हुए आ जाता है. इनके साथ बैठकर उनके हाथों से खाना भी खाता है. पक्षी प्रेम का अनोखा उदाहरण है दीपक.घर मे हर जगह बना रखा है गौरैया का घोंसला जब लोकल 18 की टीम दीपक के घर पहुंची तो शुरुआत से ही घर पर गौरैया के घोसले नजर आने लगे. करीब 50 घोसला उनके घर पर लगे हुए हैं. इसमें करीब 100 गौरैया रहती है. जब इनके छत पर पहुंचे तो देखा हाथ हिलाते ही तेजी से दो चील उनके पास आ गया और आते ही छत के ऊपर बने पानी के टंकी पर दोनों बैठ गया. इन्होंने उसे हाथ से जैसे ही खाना दिया उनके हाथों पर बैठकर और खाना खाने लगा. इतना ही नहीं इनके गोद पर भी बैठकर यह पक्षी इनके साथ खेलती है. यह अनोखा प्रेम देखकर लोगों को आश्चर्य भी होता है जो पक्षी इतनी खतरनाक होती है उनसे यह व्यक्ति कैसे दोस्ती कर बैठा.

पर्यावरण में चील की अहम भूमिका है-

हमारी शहरी पक्षी चील आप इस पक्षी से परिचित होंगे इसे आम बोलचाल में चील कहके पुकारते हैं जो black kite के नाम से जानी जाती हैं. बढ़ता शहरीकरण आज वन्यजीवों के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा हैं, पशु हो या कोई पक्षी आज अपने अस्तित्व के लिए चुनौती कर रही हैं. काली पतंग रैप्टर्स पक्षी प्रजाति में सबसे ज्यादा संख्या में हैं जो शहरी निवासी हैं, ये यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और एशिया में फैला हुआ हैं. यह अत्यधिक अवसरवादी पक्षी होती हैं. यह आहार रूप में मृत जीवों के साथ इंसानों द्वारा पका भोजन भी खा सकती हैं और प्राकृतिक और कंक्रीट दोनों जंगलों में पनपने की क्षमता रखता है. वे अक्सर पेड़ों और टावरों के शीर्ष पर अपना घोंसला बनाते हैं. कभी सक्रिय शिकारी रहे भारतीय काले चील अब सड़े हुए मांस और बचे हुए भोजन पर निर्भर हैं. ये बड़ी संख्या में आपको कूड़े के ढेरों पर मंडराते दिख जाएगी, साथ ही मछली बाजार, कसाई बस्तियों में बड़ी संख्या में देखी जा सकती हैं. शहरी बस्तियों के विस्तार के कारण ईनके मूल शिकार आधार में कमी आई है, जिससे काले चीलों के आहार में बदलाव आया है. काली पतंग को उड़ने में महारत हासिल हैं, ये उड़ान भरने में कुशल होते हैं, हवा में करतब करना, तेजी से झपटकर जमीन से कुछ उठाना, तेज गति में दिशा बदलना इनके लिए आम हैं, पर तेज गर्मी के मौसम में काली पतंगें आसमान में काफी ऊँचाई पर उड़ान भरती हैं, शिकार और जल स्रोतों की तलाश में नीचे उतरते समय वे अक्सर हीटस्ट्रोक से गिर जाते हैं. हर साल अकेले भागलपुर में ही गर्मियों के दिनों में दर्जनों पक्षी तेज धूप के कारण बिहोशी के अवस्था में मूर्छित मिलती हैं, और नवजात शिशुओं और चूजों की नाजुक उम्र उन्हें विशेष रूप से अतिसंवेदनशील बना देती है.

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