NEWSPR डेस्क। आत्मविश्वास के बल पर यूक्रेन से लौटे रहे हैं भारतीय छात्र ओर भारत सरकार अपना पीठ ठोक रही है। यूक्रेन के युद्ध प्रभावित खारकीव से सुरक्षित घर लौटी मेडिकल थर्ड ईयर की छात्रा निधि झा एवं उनके माता पिता परिजनों को बधाई देने के उपरांत राजद प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मेडिकल छात्र निधि झा खारकीव से हिम्मत साहस के बल 19 घंटा आत्मनिर्भर होकर सफर महायुद्घ के भंवर से निकल कर जान बचाई किसी तरह का कोई सहारा नहीं मिला। पोलैंड पहुंचने के बाद ही उसे भारतीय विमान का सहारा मिला है। उन्होंने कहा कि कटिहार के निधि झा, अंकित कुमार, नितेश कुमार, निक्की कुमारी, मुकेश कुमार, अभिनव कुमार सहित दर्जनों छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थें। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा के बाद भारत सरकार ने 15 फरवरी को एडवाजरी जारी की लेकिन बड़ी संख्या में बीस हजार छात्रों को सुरक्षित लाने के अनुपात में हवाई जहाज उपलब्ध नहीं कराया गया उससे भी बड़ी विडंबना ये रही कि एयरो प्लेन का किराया भी तीन गुणा ज्यादा कर दिया गया छात्र किराया एफार्ड नहीं कर पाएं।
देश भर में जब केन्द्र सरकार की फजीहत होने लगी तब जा कर सरकार ने छात्रों के लिए हवाई जहाज को फ्री किया।कुणाल ने कहा कि पहली बार इस तरह के संकट में भारत सरकार फेल हुई है।उन्होने कहा कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा मात्र बनकर रह गया।देश में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था कमज़ोर होने के कारण ही छात्र दूसरे देशों की ओर रुख करते हैं। कुणाल ने कहा कि 15 लाख के तुलना में महज 88 हज़ार ही सीटे हैं शेष छात्र चयन प्रक्रिया में युग्य होने के बावजूद नामंकन से वंचित रह जाते हैं तो हालात से मजबूर डॉक्टर बनने की चाहत उन्हें दूसरे देशों की ओर पलायन करने को मजबूर करता है। राजद प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने कहा कि भारत सरकार मेडिकल कॉलेजो में इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधा संसाधन के अनुपात में सीटो की संख्या दो सौ फीसदी बढ़ाए तो बहुत हद तक मेडिकल शिक्षा के मामले में पश्चिमी देशों पर निर्भरता घटेगी।
कटिहार से सुमन शर्मा की रिपोर्ट