बिहार की लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था, थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को गोद में लेकर खून के लिए तरपती रही बेबस मां

बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. बावजुद इसके हर रोज किसी ना किसी तरह की नकारात्मक खबरें मीडिया में सामने आ रही हैं. एक बार फिर ताजा मामला पीएमसीएच सा आ रहा है. जहां के ब्लड बैंक में मनमानी थमने का नाम नहीं ले रहा है.

दरअसल, ये मामला है थैलेसीमिया पीड़ित दो साल के बच्चे की. जिसकी बेचैन मां अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर घंटों इतजार करती रही. दुख की बात ये है कि, ब्लड बैंक में A+ का 16 यूनिट ब्लड होने के बावजुद भी उन्हें इंतजार कराया गया. पीएमसीएच वालों का कहना था कि ब्लड नहीं है. इंतजार करें. जबकि चीफ मेडिकल ऑफिसर के अनुसार 16 यूनिट ब्लड थे. जो इमरजेंसी के लिए रखा गया था. यानी जब तक संभव हो सके उन्हें इंतजार कराया जा रहा था.

पुरा मामला क्या है
दरअसल, ब्लड बैंक में एक मां थैलेसीमिया से ग्रसित अपने 2 साल के बच्चे को गोद में लेकर खून का इंतजार कर रही थी. बच्चे का शरीर बुखार से तप रहा था. ऐसे में लाचार मां बार-बार ठंडे पानी से उसके बदन को पोंछ रही थी. महिला का नाम शिव कांति देवी है. उनके बच्चे को थैलेसीमिया की बीमारी है. ऐसे में अरवल से उन्हें ब्लड के लिए नियमित अंतराल पर पीएमसीएच आना पड़ता है.

शिव कांति देवी ने बताया कि आसपास थैलेसीमिया के मरीजों के लिए ब्लड की कहीं कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में बच्चे को खून चढ़ाने के लिए वह नियमित अंतराल पर पीएमसीएच आती हैं. इस दौरान उनका लगभग 600 रुपया खर्च हो जाता है. उनके पति मानसिक रोगी हैं. इस वजह से उसे बच्चे को लेकर अकेले पीएमसीएच आना पड़ता है. महिला ने बताया कि उसके बच्चे को अभी बुखार है. बुखार से उसकी आंखें नहीं खुल रही हैं. उसके बच्चे का नाम राजा बाबू है. उन्होंने ये भी कहा कि, सुबह 10:00 बजे से पीएमसीएच पहुंच गयी थी मगर यहां बताया जा रहा है कि बच्चे को जो ब्लड चाहिए A+ उसका स्टॉक अभी उपलब्ध नहीं है, कुछ समय इंतजार करें. व्यवस्था होने पर दिया जाएगा. दिन के 2:00 बज चुके थे, मगर उन्हें ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाया जबकि ब्लड प्राप्त करने के लिए कागजी कार्रवाई हो चुकी थी.

महिला को अपने बच्चे के लिए जिस ब्लड की जरूरत थी, अस्पताल में उसका 16 यूनिट स्टॉक में था. बावजूद इसके, महिला को उसके थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे के लिए अविलंब ब्लड देने के बजाय महिला को लंबा इंतजार कराया जा रहा था और उसे बताया जा रहा था कि ब्लड बैंक में उसे जो ब्लड चाहिए. वह अभी उपलब्ध नहीं है. इसी बीच कई लोग ब्लड लेने के लिए पहुंचे और ब्लड लेकर निकल भी गए.

बता दें कि सरकार का आदेश है कि थैलेसीमिया के मरीजों को खून के लिए लंबा इंतजार नहीं कराना है. प्राथमिकता के आधार पर ऐसे मरीजों को अविलंब खून उपलब्ध कराना है. मगर इस आदेश की पीएमसीएच में पूरी धज्जियां उड़ती नजर आईं. जानकारी प्राप्त हुई कि पीएमसीएच में A+ ब्लड उपलब्ध है. फिर भी थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे के लिए ब्लड नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में पीएमसीएच के ब्लड बैंक के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर आरएन शुक्ला का बयान हैरत में डालने वाला था.

आपको बताते है हैरान कर देने वाला था चीफ मेडिकल ऑफिसर का पुरा बयान
‘कोरोना के दौरान ब्लड बैंक में खून की किल्लत हो गई है. ए प्लस ब्लड की डिमांड काफी ज्यादा है. अस्पताल में अभी के समय इसकी 16 से 17 यूनिट उपलब्ध हैं. मुझे पता है कि महिला अपने बच्चे के लिए खून प्राप्त करने पहुंची हुई है. मगर अस्पताल में A+ ब्लड काफी कम है. ऐसे में उन्हें कुछ देर के लिए इंतजार कराया जा रहा है कि बीच में कोई डोनर ए प्लस का पहुंच जाए. ताकि स्टॉक मेंटेन रहे. किसी ब्लड ग्रुप का अगर ब्लड बैंक में स्टॉक 50 यूनिट से कम होने लगता है, तब उसको विशेष परिस्थिति में ही दिया जाता है. यह अस्पताल का ब्लड बैंक है. इसलिए अस्पताल में कई सीरियस केस आते हैं, जैसे गंभीर एक्सीडेंट या फिर गन शॉट के मरीजों को ब्लड की आवश्यकता तत्काल होती है. मुझे पता है कि थैलेसीमिया के मरीजों को हर हाल में ब्लड देना है और उन्हें ब्लड देंगे भी. मगर इनकी स्थिति थोड़ी देर इंतजार करने लायक है. ऐसे में उन्हें इंतजार करने को कहा गया है. उन्हें यह भी कहा गया है कि वे जब ब्लड लेने पहुंचें तो गांव के किसी ए पॉजिटिव डोनर को साथ लेकर आयें. ताकि ब्लड आसानी से मिल सके. उन्होंने कहा कि कुछ देर और इंतजार करेंगे. अगर इस बीच कोई ए पॉजिटिव ब्लड का डोनर नहीं मिला, तो फिर अंततः महिला को एक यूनिट ब्लड उपलब्ध करा देंगे.’

चीफ मेडिकल ऑफिसर का जवाब हैरान करने वाला था. क्योंकि उन्हें पहले से मालूम था कि बच्चा अभी बुखार से तप रहा है. फिर भी 4 घंटे से अधिक समय से ब्लड बैंक में इंतजार कराया जा रहा था. ऐसे में अगर बच्चे कि बुखार से स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होता? बता दें कि बच्चे को अगर बुखार अधिक समय तक रहता है, तो वह मानसिक रूप से भी बीमार हो सकता है. यह बात सभी चिकित्सक जानते हैं.

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