पटना जिले के मसौढ़ी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक तंत्र की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। मसौढ़ी अंचल कार्यालय द्वारा 24 जुलाई 2025 को एक निवास प्रमाण-पत्र जारी किया गया, जिसमें नाम दर्ज था — डॉग बाबू, पिता का नाम कुत्ता बाबू और माता का नाम कुतिया बाबू। पता दर्ज था — काउलीचक, वार्ड संख्या 15, नगर परिषद मसौढ़ी।
इस फर्जी प्रमाण-पत्र में राजस्व पदाधिकारी मुरारी चौहान का डिजिटल हस्ताक्षर भी शामिल था। जब इस प्रमाण-पत्र को RTPS पोर्टल पर सत्यापित किया गया तो यह तथ्य सामने आया कि इसका प्रमाण-पत्र संख्या असल में दिल्ली की एक महिला के दस्तावेजों से जुड़ा हुआ है। यह सीधा सरकारी पोर्टल के दुरुपयोग और डेटा से छेड़छाड़ का मामला बन गया।
जैसे ही यह प्रकरण सामने आया, पटना के जिलाधिकारी डॉ. एस.एम. त्यागराजन ने तुरंत कड़ा संज्ञान लेते हुए सोमवार सुबह अपने X (पूर्व Twitter) हैंडल पर बयान जारी किया। उन्होंने बताया कि संबंधित प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया गया है और आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रमाण-पत्र जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।
इसके साथ ही मसौढ़ी के अनुमंडल पदाधिकारी को पूरे मामले की गहराई से जांच कर 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है। डीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर विभागीय और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे मामले ने न केवल सरकारी व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि डिजिटल सिस्टम की सुरक्षा और जिम्मेदारी को लेकर भी गंभीर चिंता जताई है।
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने भी इस घटना को X पर साझा करते हुए सरकार की प्रणाली पर तंज कसते हुए कहा, “देखिए बिहार का हाल! एक कुत्ते के नाम पर प्रमाण-पत्र जारी हो गया और उसी को मान्यता दी जा रही है, जबकि आधार और राशन कार्ड जैसे असली दस्तावेजों को फर्जी बताया जाता है!”