बिहार में भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड परियोजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने जानकारी दी है कि इस परियोजना के तहत प्रस्तावित 554 किलोमीटर में से 450 किलोमीटर से अधिक सड़क का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
वर्तमान निर्माण गति को ध्यान में रखते हुए, सरकार का लक्ष्य है कि इस सड़क को दिसंबर 2025 तक पूरी तरह तैयार कर आम जनता को समर्पित कर दिया जाए।
यह सड़क पश्चिम चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर किशनगंज के गलगलिया तक जाएगी और आगे सिलीगुड़ी को भी जोड़ेगी। इस परियोजना पर केंद्र सरकार की ओर से ₹2486.22 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। वहीं, भूमि अधिग्रहण और 131 पुल/पुलियों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा ₹3300 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है।
इस सड़क से पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों को सीधा लाभ मिलेगा। इसके बन जाने से इन इलाकों में व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कृषि उत्पादों की आवाजाही पहले से कहीं अधिक आसान, तेज और सुरक्षित हो जाएगी।
वर्ष 2010 में शुरू की गई इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सीमा सुरक्षा बल (BSF) की चौकियों को बेहतर सड़क संपर्क देना और सीमा पर होने वाली अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।
भारत-नेपाल की कुल 729 किलोमीटर लंबी सीमा में से बिहार की 554 किलोमीटर सीमा इस योजना के दायरे में आती है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार को मिलाकर इस सड़क की कुल लंबाई 1372 किलोमीटर होगी।