NEWSPR DESK : सिवान अररिया मोतिहारी के बाद किशनगंज में भी एक पुल भर भरा कर जमीनदोज हो गई। यानी 10 दिनों के अंदर चार पुल का धवस्त होना कहीं ना कहीं विभाग की भ्रष्टाचार को दिखाता है। राज्य की सरकार या फिर ग्रामीण कार्य विभाग को अब सोचने की जरूरत है कि इस तरह की घटना बिहार में ना हो इसके लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। राज्य की सरकार ऐसे सभी जर्जर फूलों की वस्तु स्थिति का जायजा ले जो अंग्रेजों के जमाने का पुल हो या फिर देखरेख के अभाव में पुल जर्जर हो गई हो। वही लगातार चार पुलों का ध्वस्त होने के बाद नालंदा जिले में भी जर्जर पुलों पर चलने वाली जिंदगी भगवान भरोसे हो गई है।
नालंदा जिले में भी अगर स्थानीय प्रशासन या राज्य सरकार अपनी नजरों को दौड़ाए तो इस इलाके में भी कई जर्जर पुल देखने को मिल सकते हैं। अभी कुछ महीने पहले ही कतरीसराय प्रखंड के गोवर्धन बीघा इलाके में सकरी नदी पर लगभग आठ करोड़ की लागत से बने पूल में एक साल पहले पिलर में अचानक सकरी नदी में पानी के बहाव के कारण दरार आ गई थी। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने आनन फानन में इंजीनियर की मदद से इसकी मरम्मती की गई थी। ग्रामीणों ने बताया की यह पुल नवादा शेखपुरा और नालंदा जिले को जोड़ने वाली लाइफलाइन पुल है। जो महज कुछ सालो में ही दम तोड रही है।
ग्रामीणों ने बताया की इस पुल पर बरसात के वक्त चलना काफी जोखिम भरा होता है।बड़ी वाहन गुजरने के वक्त इसमें कंपन भी होता है। इसी तरह से अस्थावां थाना क्षेत्र इलाके के महमतपुर बेलदरिया पर गांव के पास बने नवनिर्मित पुल में एक छोर पर गड्ढे हो गए हैं। बिहार शरीफ बरबीघा मुख्य मार्ग पर स्थित नकटपुरा गांव के बने पुल के किनारे पुल की सीमेंट और छड़ अलग अलग होना शुरू हो गया है।इसी तरह बिंद प्रखंड में भी अंग्रेजो के जमाने में बनाए गए पूल क्षतिग्रस्त हो चुका है पूल में कई जगह दरार आ गई है। अगर समय रहते इन सभी पुलों का निरीक्षण नहीं किया गया तो आने वाले वक्त में यह सभी पुल किसने किसी हादसे को निमंत्रण दे सकती है।