क्या आप ने फलों वाली जलेबी खाई है । अगर नहीं खाई है तो इसको खाने के लिय आपको आना होगा मुंगेर कच्ची कांवरिया पथ। जहां सावन माह में देवघर जाने वाले कांवरियों के लिए खास बनाया जाता है केला और आलू को मिला कर । को खाने में होता है काफी लजीज। जिसे खाने के लिय एक साल का इंतजार करते है लोग ।
यदि केला और आलू से बने जलेबी को खाना है तो आपको मुंगेर के कच्ची कांवरिया पथ पर आना होगा । यहां यह गिने-चुने होटलों में ही चखने को मिलेगा । यह जलेबी पूरी तरह से शाकाहारी होने के साथ-साथ फलाहारी भी है । यह जलेबी विशेष कर बाबाधाम जाने वाले कांवरियों के लिए बनाया जाता है वो फलाहार के रूप में बेफिक्र हो कर इस जलेबी को खा सकते हैं । यह खास जलेबी मैदा या कलाई दाल से नहीं बनाया किया जाता है, बल्कि आलू और केला को मिक्स जलेबी के रूप में छान गरमा गर्म चीनी की चासनी में डूबा बनाया जाता है । एक बार आलू-केला जलेबी का स्वाद चख लेगें तो यकीन मानिए, आप इसके दीवाने हो जाएंगे । इस खास जलेबी को खाने के लिए लोगों को एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। दुकानदार ने बताया की केला और आलू को पीस कर उसमे दूध मिला कर घोल कर उसे छान चासनी में डूबा कांवरियो दिया जाता है यह सिर्फ सावन और भादो दो माह बनाता है। वहीं कांवरियों ने बताया जब को कांवरिया फलहार पर चलता है उसके लिए यह काफी अच्छी जलेबी है । हमलोग इस बेफ्रिक हो कर खाते हैं. इसे खाने से शरीर को थोड़ी इनर्जी मिल जाती है और मन तरो-ताजा हो जाता है । साथ ही यह खाने में काफी लजीज होता है ।