नालंदा के कारीगरों ने रचा इतिहास: अब भारत में बना हाईटेक ‘स्विंग स्टार’ झूला, चीन पर नहीं रहेगी निर्भरता

Patna Desk

कन्हैयागंज (बिहार), 2 जून 2025 – एकंगरसराय प्रखंड के कन्हैयागंज गांव के दक्ष कारीगरों ने अपने हुनर से एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। चीन से आयात होने वाला अत्याधुनिक ‘स्विंग स्टार’ झूला अब नालंदा की धरती पर ही पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और मजबूती दे रहा है।

करीब दो महीनों से अरविंद विश्वकर्मा और पिंटू विश्वकर्मा के नेतृत्व में 8 से 10 कारीगरों की एक टीम इस झूले को बनाने में दिन-रात जुटी रही। हाइड्रोलिक और मूवमेंट से जुड़ी सभी टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। अब अंतिम चरण में सीटें लगाकर वास्तविक सवारी के साथ इसका परीक्षण किया जाएगा। यदि मौसम साथ दे, तो आने वाले 10 से 12 दिनों में यह झूला आम जनता के लिए बाजार में उपलब्ध होगा।

सोशल मीडिया से मिली प्रेरणा, यूट्यूब बना गुरु

अरविंद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें इस हाईटेक झूले का विचार सबसे पहले कर्नाटक के एक मेले की सोशल मीडिया क्लिप से मिला। जब उन्हें पता चला कि झूला चीन से मंगाया गया था और लागत काफी अधिक थी, तो उन्होंने इसे भारत में ही बनाने का फैसला किया। यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन स्रोतों की मदद से डिजाइनिंग और तकनीकी पहलुओं को समझा गया। इसके बाद एक टीम बनाई गई और सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर की सहायता से ऑटोमेशन प्रणाली विकसित की गई।

कम लागत में बड़ी सफलता

जहां चीन से ऐसा झूला मंगवाने में करीब 1.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, वहीं कन्हैयागंज में इसे मात्र 60 लाख रुपये में तैयार किया गया है। यह लागत में लगभग 60% की बचत है। साथ ही, यह झूला पोर्टेबल है – यानी इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

सिर्फ तीन बटन से पूरा नियंत्रण

यह झूला पूरी तरह से कंप्यूटर ऑटोमेशन से संचालित है। संचालन के लिए इसमें केवल तीन बटन हैं – चालू, बंद और इमरजेंसी। पिंटू विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने दिल्ली जाकर ऑटोमेशन सिस्टम की ट्रेनिंग ली और उसे स्थानीय जरूरतों के अनुसार लागू किया।

पहले भी बनाए हैं सफल झूले

कन्हैयागंज के कारीगर इससे पहले भी कई उन्नत झूले बना चुके हैं, जैसे 20 सीटों वाला ‘तरंगा’ और 24 सीटों वाला ‘सुनामी’। यहां का झूला क्लस्टर ‘मेक इन इंडिया’ की असली मिसाल है, लेकिन जानकारी और प्रचार की कमी के चलते ये कारीगर अब तक राष्ट्रीय पहचान से दूर हैं।

अब उम्मीद की जा रही है कि ‘स्विंग स्टार’ की यह उपलब्धि कन्हैयागंज को भारत के मनोरंजन उपकरण निर्माण में अग्रणी बनाएगी, और देशभर से खरीदार इन हुनरमंद हाथों की ओर आकर्षित होंगे।

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